जम्मू. विजयादशमी के पावन पर्व पर शुभकमानाएं देते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि जम्मू कश्मीर में कुछ संवैधानिक परिवर्तनों के बाद नये सवेरे के साथ नया दौर आरंभ हुआ है. जम्मू कश्मीर और लद्दाख लेखकों के क्षेत्र रहे हैं. कश्यप ऋषि से लेकर आज तक जम्मू कश्मीर का एक लंबा पांच-छह हजार वर्ष पुराना इतिहास है. आज इतिहास फिर से करवट ले रहा है. समूचा भारत जम्मू कश्मीर के साथ खड़ा है. बुधवार को विजयादशमी के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जम्मू महानगर के स्वयंसेवकों के विशाल एकत्रिकरण को अबंफला स्थित वेद मंदिर मैदान में संबोधित किया.
उन्होंने अपने संबोधन में संघ की स्थापना के उद्देश्य, हिन्दू दर्शन और हिन्दुत्व की विस्तार से व्याख्या की. इस अवसर पर सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी, प्रांत संघचालक डॉ. गौतम मैंगी जी और जम्मू विभाग संघचालक सुरेश चंद्र जी भी उपस्थित थे. सरकार्यवाह होसबाले जी सहित अन्य ने शस्त्र पूजन भी किया.
सह सरकार्यवाह जी ने कहा कि विजयादशमी के साथ इतिहास की घटनाएं जुड़ी हुई हैं. पुरातन काल में भी जब दुष्ट प्रभावी हुए तो सज्जन लोगों ने एकत्र होकर संघर्ष किया, तो इससे देव्य शक्तियां उत्पन्न हुईं. देव्य और असुर शक्ति में भी संघर्ष हुआ. ऐसे प्रसंग समय-समय पर आएंगे तो सज्जन लोगों को एकत्र होना पड़ेगा. जब रावण जैसी शक्ति प्रभावी हुई तो भगवान श्री राम अवतरित हुए. इसलिए आसुरी शक्तियों के विनाश से ही विकास का रास्ता साफ होगा.
उन्होंने कहा कि 3000 वर्षों के इतिहास में भारत की विश्व में आर्थिक, व्यापारिक और शिक्षा क्षेत्र में ख्याति एवं प्रतिष्ठा थी. डॉ. हेडगेवार जी ने विचार किया कि भारत के गौरवशाली इतिहास और वर्तमान में कैसे सामांजस्य बने. वह इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि हमारी दुर्दशा का कारण हम ही हैं. इस परीक्षण, निरीक्षण और विश्लेषण से डॉ. हेडगेवार जी इस निर्णय पर आए कि समाज को जगाना चाहिए, गंभीर चिंतन के लिए समाज को एकजुट करना पड़ेगा. इसलिए आज के दिन विजयादशमी के अवसर पर 1925 में डॉ. हेडगेवार जी ने समर्थ हिन्दू समाज के संगठन के लिए संघ की स्थापना की थी.
डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि संघ स्थापना के 97 वर्ष बीत गए और शाखाओं की संख्या बढ़ती गई. संघ को नहीं समझने वाले एवं विरोध करने वाले भी निकट आकर साथ खड़े हो रहे हैं. संघ की 97 वर्ष की दीर्घकालीन यात्रा में हमें कष्ट झेलने पड़े हैं. इसके बावजूद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक शक्ति के साथ खड़ा है. हमारा संकल्प सनातन है कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र है.
उन्होंने कहा कि लोग हिन्दू दर्शन और हिन्दुत्व को इसलिए नहीं समझ पाते क्योंकि वह इसे पाश्चात्य चश्मे से देखते हैं. वह भ्रम में फंस जाते हैं. हिन्दू दर्शन और हिन्दुत्व सभी को साथ लेकर चलता है. देश में सैकड़ों बोलियों, भाषाओं, विविधताओं के बावजूद अगर कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत एक है तो इसका मूल हिन्दुत्व है. हजारों भावनाओं को साथ लेकर चलने, प्रकृति की पूजा करना, पृथ्वी को मां मानना यही हिन्दुत्व और हिन्दू दर्शन है. केवल हिन्दू समाज ही कहता है कि ईश्वर सर्वव्यापी है, धरती एक है और हम सब इसके बालक हैं.
उन्होंने स्वर्गीय लता मंगेशकर जी के अमेरिका दौरे का उदाहरण देते हुए कहा कि जब वह वहां मंच के निकट पहुंचीं तो उन्होंने उसकी वंदना की थी. इसी प्रकार जब देश की बेटी पर्वतारोही संतोष यादव एवरेस्ट की चोटी पर पहुंची तो दो फीट पहले रुक गई और टॉप प्वाइंट पर उन्होंने अपना पैर नहीं रखा, बल्कि सिर झुका कर नमन किया. इसके बाद गौरी शंकर के शिखर को प्रणाम कर वापसी की. यह भाव हिन्दुत्व का भाव है. यही हिन्दू चिंतन है. सृष्टि पर विजय नहीं, सृष्टि के आगे नतमस्तक होना ही हिन्दू दर्शन है.
भारत के सर्वे भवंतु सुखिनः मंत्र का उल्लेख करते हुए डॉ. कृष्ण गोपाल जी ने कहा कि हमारा पाकिस्तान से झगड़ा होता रहता है. पर जब पाकिस्तान में गेहूं की कमी हुई तो भारत के प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देश को गेहूं निर्यात करने का प्रस्ताव भेजा था. इसलिए जब हम कहते हैं – हिन्दू राष्ट्र, तब इसके मौलिक को ध्यान में रखना होगा कि इसमें किसी से बेर-विरोध नहीं है. देश में यहुदी, पारसी, तिब्बती आदि बाहर से भारत में आए, हमने उन्हें बसाया और यह लोग शांति से देश में रह रहे हैं. यह हमारे देश का आचरण है और इसी सनातन को लेकर हम खड़े हैं, जिसे हम हिन्दू कहते हैं. इसलिए आवश्यक है कि समाज को अपने महान संस्कार और विरास्त को लेकर आगे बढ़ते रहना है.
उन्होंने बताया कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था कि दस हजार वर्ष के इतिहास में भारत ने किसी को नहीं लूटा, न ही किसी पर आक्रमण किया था. इसके बावजूद हम पर अत्याचार हुए. ग्रीक और रोम जैसी सभ्यताओं को नष्ट करने वाले लोग असभ्य थे, जिन्होंने फलती-फूलती सभ्यताओं को नष्ट कर दिया. इसलिए हमें भी अपनी सुरक्षा करनी होगी. उन्होंने कहा कि भारत आज विश्व में अपना स्थान बनाते हुए आगे बढ़ रहा है, लेकिन विगत 1000 वर्ष पुराने इतिहास से गलत बातों को हटाकर छोड़ी गई सही बातों को समाज को अपनाना होगा. हिन्दू समाज विकृतियों से बाहर आए, समाज के मन से ऐसी बातें बाहर निकलें, यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का संकल्प है.