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छत्रपति शिवाजी के त्याग, 600 सैनिकों के बलिदान से संबंधित खिंड दौड़ को अपनाएं – अनिल ओक जी

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सोनभद्र, काशी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक जी ने कहा कि हम सब को दूसरे देश की मैराथन दौड़ को नहीं ढोना चाहिए. छत्रपति शिवाजी के त्याग और 600 सैनिकों के बलिदान से जुड़ी, अपनी मिट्टी से जुड़ी पावन खिण्ड दौड़ को अपनाना चाहिए. जिसमें भारतीयता और देश के लिए मर मिटने का जज्बा परिलक्षित हो रहा है. वे शुक्रवार को क्रीड़ा भारती और शहीद उद्यान के संयुक्त तत्वाधान में सोनभद्र के राज सभागार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि ग्रीस और एथेंस से जुड़ी मैराथन दौड़ का न तो कोई सांस्कृतिक इतिहास है, न ही उस दौड़ से कोई संदेश मिलता है. जबकि इतिहास के पन्नों में दर्ज वीर शिवाजी द्वारा देश के लिए 52 किमी की दौड़ देश की आत्मा और स्वाभिमान से जुड़ी है. शिवाजी ने अखण्ड भारत और हिन्दू साम्राज्य की स्थापना के लिए यह दौड़ लगायी थी.

काशी प्रांत प्रचारक रमेश जी ने कहा कि आने वाले समय में यह दौड़ भारत की पहचान बताएगी और प्रमुख दौड़ बन जाएगी. सोनभद्र सौभाग्यशाली है कि उसे इस दौड़ को आयोजित कराने का अवसर मिला. पूरा देश सोनभद्र के आयोजन से मार्गदर्शन प्राप्त करेगा. विषय प्रवर्तन करते हुए शहीद उद्यान ट्रस्ट के चेयरमैन और वरिष्ठ पत्रकार विजय शंकर चतुर्वेदी ने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव समाप्त हो गया है, अब देश अमृत काल में प्रवेश कर गया है. वीर शिवाजी की स्मृतियाँ अमृतकाल में बुनियादी विचारों का सृजन करेंगी, जिससे देश परमगौरव को प्राप्त करेगा.

कार्यक्रम का शुभारम्भ मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्ज्वलन कर किया गया. डॉ. अंजली विक्रम सिंह ने सफल आयोजन के लिए सभी का आभार प्रकट किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता राहुल श्रीवास्तव ने की.

15 नवम्बर को आयोजित है यह दौड़

जनजातीय गौरव दिवस, 15 नवम्बर के दिन यह दौड़ आयोजित की जाएगी. दौड़ में युवक – युवतियां दोनों भाग लेंगे, धर्मशाला चौराहे से प्रारंभ होकर यह दौड़ शहीद उद्यान पर समाप्त होगी. शीघ्र ही इसकी योजना को अंतिम रूप दिया जाएगा. सम्पूर्ण कार्यक्रम पर शीघ्र एक बुकलेट जारी की जाएगी.

भारत को मुगल साम्राज्य से मुक्ति दिलाने के लिए महाराष्ट्र के पन्हालगढ़ से विशालगढ़ तक 52 किमी की दौड़ वीर शिवाजी ने दुर्गम रास्ते को तय करते हुए बरसाती रात्रि के कुछ घण्टों में पूरी की थी. वे गंतव्य तक सुरक्षित पहुंच गए थे, लेकिन रास्ते में मुग़ल सेना से लड़ते हुए 600 मराठा सैनिकों ने बलिदान दिया. इस प्रेरणादायी गौरवगाथा के स्मरण के लिए पहली पावन खिण्ड दौड़ कानपुर में आयोजित की गयी थी, सोनभद्र में देश की दूसरी दौड़ का आयोजन किया जा रहा है.

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