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इलाहाबाद उच्च न्यायालय – हिन्दी दिवस पर न्यायालय में हिन्दी में बहस, हिन्दी में निर्णय

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प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मंगलवार (14 सितंबर) को हिन्दी दिवस के अवसर पर अदालती कार्यवाही हिन्दी में आयोजित की. इस दौरान कुछ निर्णय/आदेश भी हिन्दी में पारित किए गए.

रजिस्ट्रार (प्रोटोकॉल) द्वारा जिला सूचना अधिकारी को भेजे गए एक पत्र के अनुसार, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठों ने अपनी कार्यवाही हिन्दी में संचालित की.

संचार मे कहा गया कि, “हिन्दी दिवस‘ के कारण, इलाहाबाद में उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश की अदालत और अन्य अदालतों ने अपनी कार्यवाही यानी तर्क, आदेश / निर्णय हिन्दी भाषा में परिदत्त किए.

हिन्दी में निर्णय देने की पहचान

हिन्दी में बहस और हिन्दी में अदालती निर्णयों से इलाहाबाद उच्च न्यायालय की अलग पहचान बन रही है. 17 मार्च, 1866 से न्याय दिला रहे इलाहाबाद उच्च न्यायालय में हिन्दी निर्णय देने की शुरुआत न्यायमूर्ति प्रेमशंकर गुप्त ने की थी. अपने 15 वर्ष के न्यायाधीश कार्यकाल में उन्होंने चार हजार से अधिक निर्णय हिन्दी में दिए. उनके निधन के बाद कुछ अन्य न्यायमूर्तियों ने भी परंपरा को आगे बढ़ाया.

न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी महत्वपूर्ण निर्णय हिन्दी में में देते हैं. उन्होंने ‘फर्जी बीएड डिग्री वाले अध्यापकों की बर्खास्तगी को सही करार देने सहित कई निर्णय हिन्दी में दिए हैं. न्यायमूर्ति गौतम चौधरी प्रतिदिन कार्य की शुरुआत हिन्दी से करते हैं. सुबह 45 मिनट हिन्दी में निर्णय देते हैं. वह अभी तक लगभग 2200 निर्णय हिन्दी में दे चुके हैं. न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने पिछले चार-पांच महीने में तीन सौ से अधिक निर्णय हिन्दी में दिए हैं. ‘गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की सलाह, शादी के लिए मत (धर्म) बदलना अपराध होने और साइबर ठगी में बैंक व पुलिस की जिम्मेदारी तय करने जैसे उनके निर्णय हिन्दी में रहे हैं.

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