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क्या वास्तव में दिल्ली के अस्पतालों में 5000 बेड उपलब्ध हैं…?

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आशीष कुमार

दिल्ली में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 14 अप्रैल को दिल्ली में 24 घंटे में कोविड-19 के 17000 से अधिक मामले सामने आए. 17292 संक्रमितों का आंकड़ा दिल्ली का सबसे बड़ा रिकॉर्ड है. इस दौरान 100 से अधिक लोगों की जान गई. स्वास्थ सेवाओं पर हालात का असर स्पष्ट दिख रहा है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली के कब्रिस्तानों में जगह नहीं बची है. श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के लिए भी 20 से 25 घंटे तक लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है.

ऐसे अवसर पर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भाजपा-कांग्रेस की राजनीति में उलझे हुए दिखते हैं तो ऐसा लगता है कि वे भाजपा के लिए ट्वीट नहीं कर रहे, बल्कि दिल्ली वालों को मुंह चिढ़ा रहे हैं. अपनों के शव के साथ श्माशान घाट के बाहर लोग 20-20 घंटे अंतिम क्रिया के लिए इंतजार में बिता रहे हैं और मनीष सिसोदिया ट्वीट कर रहे हैं, ”बीजेपी शासित राज्यों में कोरोना मैनेजमेंट का सच… मौत हुई 112, लेकिन सरकार के रिकार्ड में केवल चार… शर्म आनी चाहिए. सरकारों को जो टीवी मीडिया में अच्छा-अच्छा दिखने के लिए लोगों को मरने के लिए छोड़ दे रही है.”

पर, वे दिल्ली के प्रबंधन का सच कब देखेंगे? यह नहीं बता रहे. पूरी दिल्ली मनीष-अरविन्द के इस रूप को देख ठगा सा महसूस कर रही है.

उपमुख्यमंत्री तो सही, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल उनसे भी एक कदम आगे निकले हैं. बढ़ते कोरोना के बीच “श्री केजरीवाल” ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कह दिया कि अगर आपको किसी खास अस्पताल में जाना है तो आपको दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में बेड मिलने में दिक्कत आ सकती है, वरना दिल्ली में 5000 बेड खाली पड़े हैं.”

पूरी दिल्ली उन 5000 बिस्तरों को तलाश रही है, लेकिन वे बिस्तर कहां लगे हैं, मिल नहीं रहे. क्या यह सच है? क्या दिल्ली सरकार के अधीन आने वाले सरकारी अस्पतालों में 5000 बेड खाली पड़े हैं? क्या दिल्ली में सभी कोरोना पॉजिटिव को आराम से बेड मिल जा रहे हैं? यह सच नहीं है. दिल्ली में स्वास्थ सेवाएं घुटनों के बल बैठ गई है. अस्पताल दर अस्पताल परेशान होते मरीज भटक रहे हैं. आम आदमी की सुनवाई कहीं नहीं हो रही.

दिल्ली के मुख्यमंत्री के 5000 बेड वाले दावे के बाद एक समाचार चैनल ने ऑपरेशन-5000 के नाम से स्टिंग आपरेशन कर दिया. जब उनके अंडर कवर रिपोर्टर एप में खाली जगह देखकर एक मरीज को जीटीबी अस्पताल में दाखिल कराने के लिए गए तो वहां बताया गया कि कोई जगह खाली नहीं है. जब रिपोर्टर ने कहा कि वे एप देखकर यहां आए हैं तो अस्पताल कर्मचारी ने कहा कि आप इमरजेंसी में जाकर पता कीजिए. रिपोर्टर ने इमरजेंसी में जाकर बताया कि उनकी माताजी की तबियत बहुत खराब है. उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही है ​तो उन्हें कहा गया कि खुद देख लें कि क्या कोई बेड खाली है? बातचीत में अस्पताल का कर्मचारी ही बता देता है कि एक मरीज कल शाम सात बजे से अस्पताल के बाहर पड़ा है. बेड नहीं है तो रोगी को कैसे भर्ती करें? जब अस्पतालों के बाहर इस तरह रात बिताने को रोगी मजबूर हैं, फिर ये 5000 बेड किसके लिए, अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने बचा कर रखे हैं? दूसरी तरफ चैनल के अनुसार दिल्ली सरकार का एप 1500 में से 1170 बेड खाली होने की बात बता रहा था. जबकि अस्पतालों में कोविड से प्रभावित लोगों को एक बिस्तर तक नसीब नहीं हो पा रहा. राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में यह एप 650 में 308 बेड खाली होने की जानकारी दे रहा था. जब पत्रकार राजीव गांधी अस्पताल पहुंचे तो वहां पहले यह खोज कर पाना मुश्किल था कि कोविड मरीज के दाखिले की खिड़की कहां है? जब चैनल के पत्रकार उस खिड़की तक पहुंचे तो वहां मरीजों के दाखिले के लिए आपाधापी मची थी और वहां मौजूद एक डॉक्टर कहता हुआ पाया गया कि अस्पताल में कोई बेड नहीं है. हालात ऐसे हैं कि उस डॉक्टर को अस्पताल में बेड चाहिए था. वह खुद के लिए अस्पताल में बेड की व्यवस्था नहीं कर पा रहा था.

पत्रकार ने राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. बीएल शेरवाल से जब बेड्स को लेकर सवाल पूछा तो जिस तरह का गोल-मोल जवाब वे दे रहे थे, उससे साफ पता चल रहा था कि वे वास्तविक स्थिति नहीं बता रहे हैं. उनका कहना था कि उनके अस्पताल में बेड हैं. फिर वह कहते हैं कि वह बेड बचेगा नहीं. फिर वे कहते हैं कि लोग अपना ख्याल रखें. मतलब बीमार ना पढ़ें. पूरी बात सुनकर यही लगा कि बेड नहीं हैं, पर वह साफ बता नहीं सकते.

राजीव गांधी अस्पताल के बाहर का हाल पत्रकार अशोक श्रीवास्तव लिखते हैं, ”दिल्ली के राजीव गांधी अस्पताल के बाहर एक युवक रोता हुआ मिला. पूछा तो बताया-पिछले साल कोरोना में यहां हॉस्पिटल में खूब सेवा की, यहां के टॉयलेट साफ किये, कोरोना वॉरियर का सर्टिफिकेट मिला. आज माँ को कोरोना है तो अस्पताल में उन्हें भर्ती करने के लिए बेड नहीं मिल रहा.”

भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने ऐसे हालात पर लिखा, ”3 करोड़ 79 लाख रुपये का विज्ञापन करके अरविन्द केजरीवाल ने कहा, दिल्ली में 5000 कोरोना बेड खाली हैं.” इस टिप्पणी के साथ कपिल ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें दिल्ली सरकार के कोविड एप में अस्पतालों के अंदर बेड खाली दिखाया जा रहा है, लेकिन जब अस्पताल को फोन करके जानकारी हासिल की गई तो किसी अस्पताल में एक भी बेड नहीं मिला. यही है दिल्ली में 5000 खाली बेड की हकीकत.

क्या केजरीवाल दिल्ली वालों को बताएंगे कि उनके 5000 बेड दिल्ली में ही खाली हैं या दिल्ली वालों के नाम पर अलीबाग में कोई 5000 बेड वाला प्लाट ले रखा है.

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