जयपुर. चित्रकूट के तुलसीपीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज रामकथा हेतु जयपुर में हैं. विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित रामकथा उनकी 1394वीं रामकथा है. रामकथा के दौरान उन्होंने गलता गादी, श्री कृष्ण जन्मभूमि और पाक अधिकृत कश्मीर वापस लेने की बात कही. यह भी बताया कि गोस्वामी तुलसीदास जी को रामचरितमानस लिखने की आवश्यकता क्यों पड़ी? रामचरितमानस की महिमा क्या है? रामकथा के प्रमुख अंश…..
- श्री राम जय राम जय जय राम, कीर्तन नहीं विजय मंत्र है.
- रामकथा चंद्रमा की किरण के समान है, जिसका संत रूपी चकोर निरंतर पान करते रहते हैं. “रामकथा शशि किरन समाना, संत चकोर करहिं जेहि पाना.”
- वाल्मीकि जी ने सौ करोड़ रामायणें लिखीं. भक्तों ने वाल्मीकि जी से कहा, हमें आपसे ये सारी सुननी हैं, तो वाल्मीकि जी ने कहा, ऐसा कैसे होगा. इस पर हनुमान जी ने उनसे कहा आप ही तुलसीदास का अवतार ले लो और हिन्दी में ऐसा ग्रंथ लिखो, जो सौ करोड़ रामायण का सारांश बन जाए. तब तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की. इस प्रकार रामचरितमानस पढ़ने से सौ करोड़ रामायणों के पाठ का अपने आप फल मिल जाता है.
- रामकथा भारतीय जनमानस में चरित्र की सभ्यता का निर्माण करने वाली है.
- कथा में क शब्द का अर्थ है, भगवान / राम, जिसको सुनकर जीव के हृदय में भगवान राम के प्रति आस्था जग जाती है, उसका नाम है कथा.
- राजस्थान ने बहुत तांडव देखा. पद्मावती से प्रारम्भ करें, महाराणा प्रताप तक आएं, चित्तौड़ देखें, एक साथ जहां 16 हजार पद्मिनियों ने जौहर किया था. महाराणा प्रताप ने मानसिंह के विरुद्ध सिर उठाया, स्वाभिमान था उनमें. महाराणा प्रताप तुलसीदास जी से मिलने चित्रकूट गए, बोले क्या करूं? तब गोस्वामी तुलसीदास ने कहा कि सिसोदिया तुम राम जी के वंश में जन्मे हो, वह वंश जो विधर्मियों से समझौता करना नहीं जानता, मर जाना उसे स्वीकार है, गलत समझौते करना नहीं. गोस्वामी जी ने प्रताप को बालकांड के 250वें दोहे की दूसरी पंक्ति दिखायी. जिसमें भगवान राम परशुराम जी से कह रहे हैं, जो हमें युद्ध में ललकारता है, हम उसका सामना करते हैं. हम काल से लड़ते हैं, जो होगा सो होगा. उन्होंने कहा, मैं रामचरितमानस लिख रहा हूं. इससे भारत को स्वतंत्र होने का अभ्यास हो जाएगा. विरोध करने का और हिन्दुत्व के गौरव का अभ्यास हो जाएगा. तुलसीदास जी ने कहा, देखो तुम्हारा भी नाम इसमें है, “जदपि कबित रस एकउ नाहीं. राम प्रताप प्रगट एहि माहीं॥” तब राणा प्रताप की आंखें खुल गईं और कहा कि मैं तुर्क से कोई समझौता नहीं करूंगा. महाराणा प्रताप ने कहा, तुलसीदास जी राम जी हमारे इष्टदेव हैं और आप हमारे गुरुदेव. मैं वचन देता हूं, जब तक भारतमाता स्वतंत्र नहीं होगी, तब तक प्रताप को भी विश्राम नहीं होगा.
- अब लोगों ने एक नया विवाद खड़ा किया है कि राम सांसारिक सम्पत्ति दे सकते हैं, मोक्ष नहीं दे सकते. मैं विनम्रता से कह रहा हूं और इनकी मूर्खता को प्रणाम भी कर रहा हूं. यदि राम जी मोक्ष नहीं दे सकते तो शंकर जी काशी में मरने वालों को राम मंत्र का उपदेश क्यों करते. राम जी सब कुछ दे सकते हैं. राम नाम ही मुमुक्षुओं का पाथेय है. राम जी का प्रभाव भी लोकोत्तर है और स्वभाव भी.
- गोस्वामी जी ने कहा, संत का आदर्श है, जब देश में शांति हो तो संत को हाथ में माला लेनी चाहिए और जब क्रांति हो तो माला रखकर भाला हाथ में ले लेना चाहिए. इस समय भी क्रांति है.
- एक चाह हमारी रह गई है, वह भी पूरी होगी. पाक अधिकृत कश्मीर, आधा कश्मीर जो पाकिस्तान ने हथिया रखा है, वह हमें मिल कर रहेगा, हम उसे लेकर रहेंगे.
- अकबर का कालखंड, कितना मीठा जहर था. सबसे बदमाश कोई शासक हुआ, तो वह था अकबर. गोस्वामी जी सब जानते हैं. गोस्वामी जी ने लिख दिया रामचरितमानस में. “नृप पाप परायण पुण्य नहीं….”
- रामचरितमानस एक क्रांतिकारी ग्रंथ है. ऐसा ग्रंथ विश्व में आज तक नहीं. चार अरब प्रतियां बिक चुकी हैं, केवल रामचरितमानस की.
- मैं राजस्थान में रामकथा कहने आया हूं. सोये हुए पौरुष को फिर से जगाने आया हूं. राजपूत यह न समझें कि शाम को शराब पीना आवश्यक है. ये तो कायरों की बातें हैं. पीना है तो रामकथा सुधा पियो. जग जाओ.
- आज भी जब उस रानी की स्मृति आती है मेरे मन में, तो भावुकता हो जाती है. 16 बरस की थी वह. युद्ध में जा रहा था उसका पति. बार बार निशानी मांग रहा था अपनी प्रिया से. धन्य है हमारा राजस्थान. उसने कहा ठीक है. समझ गई वह युवती, मेरे प्रेम रहकर हो सकता है यह ठीक से युद्ध न कर सके, तो सिर काटकर अपना दे दिया दासी को, कहा ले जाओ मेरे पति को दे दो. यह त्याग उसने कहां से सीखा? रामचरितमानस से. रानी ने कहा, मुझे मेरी मां ने रामचरितमानस पढ़ाया है. मुझे इसमें अरण्यकाण्ड का 24वां दोहा सबसे अच्छा लगा. जिसमें भगवान राम सीता जी को अग्नि में भेज रहे हैं और भगवान राम की इच्छा जानकर सीता जी अग्नि में चली गईं, उन्होंने अपने प्राणों की चिंता नहीं की. जब वे अपने आप को अग्नि में सौंप सकती हैं, तो मैं भी अपने पति को कठोर बनाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे रही हूं. और काट दिया उसने अपना सिर. रामचरितमानस जी ने उस भोली भाली 16 बरस की किशोरी की बुद्धि में क्या दृढ़ता भर दी. रामचरितमानस जी की कथा हिन्दुओं के सोए हुए पौरुष को जगाने वाली कथा है.
- इस सरकार से मेरा अनुरोध है कि यदि राष्ट्र को सही सही उपहार देना है तो रामचरितमानस जी को संसद में राष्ट्र ग्रंथ घोषित कर देना चाहिए.
- अब राम जी की सत्ता को नकारने के लिए कोई माई का लाल नहीं जन्मा. बहुत सहन कर लिया हमने. मैं आपको वचन देता हूं, जब तक यह छत्र है, जब तक मैं इसका अधिपति हूं. अपने पश्चात् अपने उत्तराधिकारी को भी समझाकर जाऊंगा, अब कोई समझौता नहीं. राम जी की सत्ता तो अनिवार्य सत्ता है.
- राम का अर्थ निर्गुण नहीं होता. राम यानि सगुण साकार ब्रह्म. कभी हारे नहीं राम जी. ऐसे व्यक्ति जिनके धनुष की डोरी कोई काट नहीं पाया. शंकर जी के पिनाक धनुष की डोरी राम जी ने तोड़ी, तो उनके धनुष की डोरी कौन काटेगा.
- चार वस्तुएं अमोघ हैं, राघव जी का बाण, दर्शन, उनकी शक्ति और सीता जी का आशीर्वाद. अमोघ, जिसे कोई नष्ट न कर सके.
उन्होंने कहा कि रामचरितमानस की पुरानी प्रतियों में 42 सौ गलतियां थीं. मैंने जब उसका सम्पादन किया तो हम पर मुकदमे चलाए गए. लेकिन अंत में विजय मेरी हुई. कोर्ट ने कह दिया डबल प्रिंट नहीं. सम्पादन यदि प्रामाणिक है तो पूज्य जगद्गुरु का प्रामाणिक है.
कथा के अंत में सभी भक्तों का आह्वान करते हुए कहा कि हम अपने स्वाभिमान के साथ किसी से समझौता न करें.