हर वर्ष देशभर में गणेश चतुर्थी के दौरान उत्सवों और जुलूसों का आयोजन होता है, लेकिन 2024 में, गणेश उत्सव को इस्लामिक चरमपंथियों ने कई स्थानों पर निशाना बनाया. देश के विभिन्न हिस्सों में कट्टरपंथी तत्वों ने गणपति महोत्सव में खलल डालने के प्रयास किए, जिसके परिणामस्वरूप कई स्थानों पर सांप्रदायिक तनाव उत्पन्न हुआ.
पूरे देश में उत्साह से मनाए जाने वाले गणपति महोत्सव के दौरान, हिंसा की घटनाएं सामने आईं. सूरत (गुजरात), कच्छ (गुजरात), मांड्या (कर्नाटक), औरंगाबाद (बिहार), महोबा (उत्तर प्रदेश), और भीलवाड़ा (राजस्थान) में कट्टरपंथियों ने भगवान गणेश के पंडालों पर कथित तौर पर हमले किए.
सूरत और कच्छ में हमले
गुजरात के सूरत शहर के लाल गेट क्षेत्र में गणेश उत्सव के दौरान पत्थरबाज़ी की घटना हुई. रिपोर्ट्स के अनुसार, इस्लामिक समुदाय के कुछ नाबालिगों ने गणपति पंडालों और जुलूस पर हमला किया, जिससे तनावपूर्ण माहौल बन गया. इसके बाद स्थानीय हिन्दू समुदाय ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए.
कच्छ जिले में भी इसी तरह के हमले की खबरें सामने आईं, जहाँ गणपति विसर्जन के दौरान इस्लामिक चरमपंथियों ने हमले किए, जिससे वहाँ का माहौल भी बिगड़ा. घटनाओं ने राज्य प्रशासन को सतर्क कर दिया और सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई.
मांड्या और हुबली में हमले
कर्नाटक में, विशेष रूप से मांड्या और हुबली में, गणेश चतुर्थी के धार्मिक जुलूसों पर इस्लामिक चरमपंथियों ने हमले किए. हुबली में 2022 में भी इसी तरह की घटनाएँ सामने आई थीं, जब गणपति जुलूसों को निशाना बनाया गया था. इस बार भी हमलों ने स्थानीय हिन्दू समुदाय में आक्रोश पैदा किया.
औरंगाबाद और महोबा में भी गणपति महोत्सव के दौरान इस्लामिक चरमपंथियों ने हमले किए. इन राज्यों में सांप्रदायिक तनाव पहले से ही मौजूद था, और इन घटनाओं ने स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया. पुलिस प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई करते हुए हिंसा को नियंत्रित करने का प्रयास किया, लेकिन त्योहारों के दौरान होने वाली ऐसी घटनाओं ने हिन्दू समुदाय को आहत किया.
भीलवाड़ा में हमले
भीलवाड़ा, राजस्थान में गणपति विसर्जन जुलूस पर हमले की घटना ने भी राज्य में तनाव बढ़ा दिया. स्थानीय प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षात्मक कदम उठाए, लेकिन ऐसे हमलों से हिन्दू समुदाय में असंतोष और डर फैल गया है.
यह पहली बार नहीं है, जब गणेश महोत्सव या अन्य हिन्दू त्योहारों को निशाना बनाया गया है. पिछले कुछ वर्षों में, देश के विभिन्न हिस्सों में कट्टरपंथियों द्वारा हिन्दू त्योहारों पर हमले बढ़ते जा रहे हैं. 2022 में महाराष्ट्र के कामठीपुरा में गणेश मूर्ति पर अंडे फेंके गए थे. गुजरात के वडोदरा में भी गणपति जुलूस पर हमला किया गया था, जिसमें 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी.
चुप्पी पर सवाल..?
गणेश उत्सव बड़े त्योहारों में से एक है, जिसे देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इसके बावजूद, महोत्सव के दौरान हुए मजहबी हमलों पर ‘धार्मिक सौहार्द्र’ और ‘गंगा-जमुनी तहजीब’ जैसी बिना सर पैर की बातें करने वाले तुष्टिकरण के ठेकेदारों की चुप्पी सवाल खड़े करती है.
लोग भी सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं कि इन हमलों पर मौलाना-मौलवी और अन्य मुस्लिम नेताओं ने अभी तक कोई कड़ी प्रतिक्रिया क्यों नहीं दी..? घटनाओं पर चुप्पी साधने वाले राजनीतिक दलों और तथाकथित सेक्युलर नेताओं की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं. इन मामलों में अभी तक किसी बड़े मुस्लिम धार्मिक नेता या मौलाना की ओर से आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, जिससे जनाक्रोश और भी बढ़ रहा है.