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#Ayodhya – रामनगरी की 14 कोसी परिक्रमा उत्साह के साथ संपन्न

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अवध (विसंकें). रामनगरी में 23 नवम्बर को तड़के 14 कोसी परिक्रमा उत्साह के साथ प्रारम्भ हो गई. कोरोना संक्रमण के संकट को ध्यान में रखकर प्रशासन ने परिक्रमा में स्थानीय संतों और श्रद्धालुओं को ही शामिल होने की इजाजत दी है. बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को रोकने के लिए रामनगरी की सीमा सील कर दी गई है. इसके बावजूद परिक्रमा को लेकर जोश ठंडा नहीं पड़ा है. सरयू तट से लेकर प्रमुख मंदिर और आंतरिक मार्गों से लेकर परिधि पर स्थित परिक्रमा मार्ग को सजाया गया.

परिक्रमा में जिला प्रशासन ने कोविड-19 हेल्प डेस्क लगाया था. परिक्रमा कर रहे श्रद्धालुओं की बाकायदा थर्मल स्कैनर से स्कैनिंग की जा रही थी. 23 नवंबर की भोर अक्षय नवमी के शुभ मुहूर्त 2:13 मिनट पर परिक्रमा की शुरुआत हुई और 24 नवंबर की भोर 2 बजकर 15 मिनट पर अक्षय नवमी के समाप्ति के बाद ये परिक्रमा समाप्त हुई.

श्रद्धालु अयोध्या की 42 किलोमीटर की परिधि की परिक्रमा करते हैं. नंगे पैर यह परिक्रमा की जाती है. ऐसी मान्यता है कि अक्षय नवमी के दिन शुभ मुहूर्त में अयोध्या में 14 कोस की परिक्रमा किए जाने से जन्म जन्मांतर के बंधन से मुक्ति प्राप्त होती है और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है.

28 वर्ष बाद संभव होगी रामलला की परिक्रमा

पारंपरिक मान्यता का अनुसरण करते हुए श्रद्धालु परिक्रमा के साथ रामलला का अनिवार्य रूप से दर्शन और उनकी परिक्रमा करते रहे हैं. इस दौरान उनके सामने रामजन्मभूमि की विवाद से मुक्ति का सवाल भी कौंधता रहा है. इस बार श्रद्धालु न केवल भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण की नित्य-निरंतर प्रशस्त होती संभावना के बीच पूर्व की अपेक्षा कहीं अधिक समुचित साज-सज्जा वाले वैकल्पिक गर्भगृह में रामलला का दर्शन कर सकेंगे, बल्कि उन्हें रामलला की परिक्रमा करने का भी अवसर मिलेगा. 28 वर्ष पूर्व ढांचा ढहाए जाने के बाद रामलला की परिक्रमा रोक दी गई थी.

राजस्थान के रामभक्तों ने दान की दो किलोग्राम चांदी

राम मंदिर निर्माण के लिए रविवार को राजस्थान के विश्वकर्मा, मालवीय व लोहार समाज ने संयुक्त रूप से दो किलो 190 ग्राम चांदी भेंट की. इन श्रद्धालुओं ने पहले रामलला का दर्शन किया तथा बाद में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र कार्यालय पहुंचकर चांदी भेंट की. ये सभी राजस्थान के कोटाबूंदी भीलवाड़ा के रहने वाले हैं. इसी तरह चंड़ीगढ़ मोहाली निवासी रामनाथ ने भी एक लाख रूपये दान किया. महाराष्ट्र निवासी रामचंद्र रामूका ने आरटीजीएस से एक करोड़ रूपए मंदिर निर्माण के लिए भेजे. वे इसके पहले भी दान कर चुके हैं. इसी तरह अंबेडकरनगर के भीटी क्षेत्र की शकुंतला ने एक लाख पांच सौ रूपये दान स्वरूप भेंट किया. कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्त बताते हैं कि इन दिनों तेजी से दान प्राप्त होने का सिलसिला जारी है.

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