बरेली, उत्तर प्रदेश.
बरेली की एक अदालत ने हाल ही में ‘लव जिहाद’ के आरोप में एक मुस्लिम युवक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने न केवल आरोपी को दोषी ठहराया, बल्कि लव जिहाद के मुद्दे पर कड़ी टिप्पणी भी की. एडीजे रवि कुमार दिवाकर ने मामले में कई महत्वपूर्ण बातें कहीं. आरोपी के पिता को 2 साल की सजा सुनाई है. आदेश की प्रति मुख्य सचिव और डीजीपी को भेजने का निर्देश दिया है.
मामले में आरोपी मोहम्मद आलिम ने पीड़िता को अपना नाम आनंद बताया था और शादी का झांसा देकर पीड़िता का यौन शोषण किया. आरोपी ने उसके कुछ फोटो व वीडियो बना लिए, जिनका भय दिखाकर ब्लैकमेल कर रहा था. अदालत ने इसे सिर्फ एक व्यक्तिगत अपराध नहीं माना, बल्कि इसके पीछे छिपी बड़ी साजिश और योजनाबद्ध तरीके की ओर इशारा किया.
अदालत ने जबरन धर्मांतरण की निंदा की और उत्तर प्रदेश धर्मांतरण विरोधी अधिनियम, 2021 के तहत सख्त कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया. न्यायाधीश ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी व्यक्ति को झूठ, छल, लालच या बल प्रयोग से धर्मांतरण करने का अधिकार नहीं है. यदि ऐसा होता है, तो यह देश की अखंडता और संप्रभुता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है.
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने आदेश में कहा कि मनोवैज्ञानिक दबाव डालकर, लालच, शादी, नौकरी आदि का प्रलोभन देकर धर्मांतरण कराया जा रहा है. इसमें विदेशी फंडिंग की भी आशंका है. यह देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा है. इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता. समय रहते इस पर रोक नहीं लगाई गई तो इसके गंभीर परिणाम होंगे.
प्रश्नगत मामले में मोहम्मद आलिम ने अपनी पहचान छिपाकर पीड़िता को धोखे में रखा. उससे शादी और यौन शोषण किया. लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण रोकने के लिए ही प्रदेश सरकार ने उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 पारित किया है. संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, उसका प्रचार-प्रसार करने का मौलिक अधिकार देता है. धर्म की व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार को लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण के रूप में नहीं बदला जा सकता.