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रामकाज का हिस्सा बनना सक्षमता नहीं – समर्पण का भाव

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शिमला. अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण के लिए देश भर में निधि समर्पण अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के माध्यम से जहां मंदिर निर्माण हेतु धन संग्रह किया जा रहा है, वहीं लोगों में विद्यमान प्रभु श्री राम के प्रति आस्था, श्रद्धा व प्रेम के दर्शन भी हो रहे हैं. निधि समर्पण अभियान के तहत कार्यकर्ता घर-घर जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं.

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला की कोट पंचायत में कार्यकर्ताओं की टोली एक सेवानिवृत्त अधिकारी के घर पहुंची और उन्हें श्रीराम मंदिर निर्माण व निधि समर्पण अभियान की जानकारी दी. कार्यकर्ताओं ने घर में अभियान का स्टीकर लगाया. इस पर सेवानिवृत्त अधिकारी तपाक से बोले – भाई साहब मेरी श्री राम व ऐसे कार्यों में कोई आस्था नहीं है और मैं इस काम के लिए धन भी नहीं दे सकता.

होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥

तभी टोली के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने उनसे कहा – माना कि आपकी श्रीराम में श्रद्धा नहीं है, लेकिन घर के किसी अन्य सदस्य की तो श्रद्धा होगी…..

अभी यह सब बातचीत चल ही रही थी कि उनकी धर्मपत्नी ने घर के अंदर से आवाज सुन ली और बाहर आकर सबसे पहले टोली के सदस्यों के लिए बैठने के कुर्सियां लगाई….तत्पश्चात कुछ ही देर में 1100 रु की समर्पण निधि टोली के सदस्यों को सौंपी. सदस्यों ने उन अधिकारी का नाम पूछा तो उन्होंने अपना नाम न लिखवाकर धर्मपत्नी का नाम ही लिखवाया.

इससे एक बात स्पष्ट हो गई कि ये जरूरी नहीं कि आप संपन्न हैं, या नहीं….इससे कहीं आवश्यक है कि आप में समर्पण भाव है या नहीं.

इसी पंचायत के धुरखड़ी गांव में कार्यकर्ता जब संग्रह के एक घर में पहुंचे तो वहां उपस्थित एक युवती ने कहा – हम आपको नहीं जानते, आप कौन हैं और पैसे लेकर क्या करोगे? युवती ने कार्यकर्ताओं से कहा कि आप लोगों को पंचायत से अनुमति लेकर आना चाहिये था. ढेरों प्रश्न करने के बाद अन्त में समर्पण निधि प्रदान कर घर के अन्दर चली गई.

चित्तौड़ प्रांत

आज श्री राम जन्मभूमि निधि समर्पण अभियान के अन्तर्गत विशेष अनुभव हुआ. जब समर्पण हेतु एक घर में संपर्क किया तो बताया कि मैं तो कब से समर्पण हेतु तत्पर थी, परन्तु अयोध्या राशि भेजने का कोई मार्ग नहीं मिल रहा था….आज ऐसा लग रहा है, स्वयं राम जी मेरा समर्पण लेने आए हैं.

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