सीकर. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख नरेंद्र ठाकुर ने साहित्य संगम के तीसरे संस्करण का दीप प्रज्ज्वलन कर शुभारंभ किया. उन्होंने कहा कि समाज में विमर्श स्थापित करने हेतु ऐसे आयोजन आवश्यक हैं. साहित्य अतीत से प्रेरणा लेकर वर्तमान को दिशा देता है, साहित्य समाज का दर्पण है. वर्तमान समाज का चिंतन साहित्य में प्रदर्शित होता है और जो साहित्य में प्रदर्शित होता है, वह समाज में दिखता है. समाज में जाति आधारित भेद साहित्य से तथा समरस समाज की कल्पना का आधार भी साहित्य से बनता है. युवाओं की दृष्टि से विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि युवाओं में संस्कार निर्माण हेतु साहित्यकारों को प्रयास करना चाहिए. जिससे उत्तम साहित्य युवाओं तक पहुँच सके.
कार्यक्रम में बाबूलाल ने डॉ. राजीव माथुर एवं नरेंद्र ठाकुर को प्रतीक चिन्ह भेंट कर स्वागत किया. डॉ. माथुर ने पुस्तकों के महत्व को समझाया. उद्बोधन के पश्चात अतिथियों ने भीम-मीम गठजोड़ कथ्य एवं तथ्य पुस्तक का विमोचन किया. पुस्तक के लेखक सुनील खटीक, कुमार वीरेंद्र, अमित झालानी एवं प्रवर्तक डॉ. मुनेश कुमार, रोहित बेरवाल सहित अन्य उपस्थित रहे. कार्यक्रम में शेखावाटी के उभरते कलाकार अंकित अवस्थी, नंदनी त्यागी एवं सूरज को सम्मानित किया गया.
रंगोली एवं गायन प्रतियोगिता में 10 विद्यालयों के प्रतिभागियों ने भाग लिया. दूसरे सत्र में समरस समाज प्रयास एवं परिणाम विषय पर मुख्य वक्ता हनुमान सिंह राठौड़ रहे. उन्होंने कहा कि समरस समाज हेतु हमारी जागृति आवश्यक है. जिससे आवश्यक परिणाम आ सकें. समाज ने इस पर विचार करना प्रारंभ किया है एवं परिवर्तन भी होने लगा है.
अगले सत्र में मुकेश माथुर द्वारा मीडिया के नवाचार विषय पर बात रखी गई. जिसमें समाचार पत्रों एव टीवी चैनल्स द्वारा किए जा रहे नवाचारों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई .
कार्यक्रम के अगले सत्र में सकारात्मक सोशल मीडिया वर्तमान सन्दर्भ में विषय पर नरेंद्र ठाकुर ने सोशल मीडिया के सकारात्मक उत्थान एवं समाज जागरण में युवाओं की भूमिका हेतु सभी को प्रोत्साहित किया.
शेखावाटी साहित्त्य संगम के मीडिया प्रभारी ने बताया कि कार्यक्रम में विभिन प्रकाशकों की पुस्तकें भी उपलब्ध हैं. जिन्हें साहित्य प्रेमी काफी पसंद कर रहे है तथा पुस्तकें क्रय भी कर रहे हैं. प्रथम दिन के आखिरी सत्र भीम मीम कथ्य एवम तथ्य विषय पर विस्तृत चर्चा हुई. वक्ताओं ने इसे बेमेल गठजोड़ बताते हुए समाज हेतु विघटनकारी बताया.
पुस्तक “भीम-मीम गठजोड़: तथ्य एवं कथ्य” शोध आधारित पुस्तक है. वस्तुतः इस विषय पर खुले विचार प्रकट करने की महती आवश्यकता है, जो यह पुस्तक पूर्ण करती है. पुस्तक में जातियों की व्यवस्था को शास्त्रीय और ऐतिहासिक तथ्यों के आधार पर विवेचित किया गया है.
भीम-मीम के पैरोकार दलित विमर्श में जोगेंद्रनाथ मंडल और पाकिस्तान के साथ उनके अनुभवों को कभी शामिल ही नहीं करना चाहते हैं. ऐसा करने से उनका यह प्रायोजित एजेंडा अनुसूचित समाज में खारिज हो जाने का भय है. यह नकली राजनीतिक प्रस्थापनाओं को प्रमाणिकता के साथ खारिज करने में सशक्त हस्ताक्षर की तरह है. आशा है भारत विरोधियों के इकोसिस्टम को ध्वस्त करने में यह पुस्तक एक मील के पत्थर की भूमिका में रहेगी.