स्व-धर्म पालन का अर्थ केवल अपनी आस्था के अनुसार पूजा पद्धति को वहन करना नहीं है. स्वधर्म पालन का अर्थ यह भी है कि जिस भी क्षेत्र में हम कार्य कर रहे हैं, वहां अपने कार्य-दायित्व को पूर्ण निष्ठा के साथ निभाना. श्रीमदभगवद् गीता हमें स्वधर्म पालन की सीख देती है. कलबुर्गी, कर्नाटक के डॉ. मल्हार मल्ले गीता से प्रेरित हो स्वधर्म का पालन कर रहे हैं. चिकित्सा क्षेत्र में डिग्री प्राप्त करने के पश्चात जरूरतमंदों की सेवा का जो क्रम प्रारंभ किया, वह आज भी नियमित जारी है.
डॉ. मल्हार बताते हैं कि वर्ष 1974 में एमबीबीएस की डिग्री पूरी की तथा अनुभव हासिल करने के लिए डॉ. विट्ठल राव पलनितकर के अधीन कई वर्षों तक काम किया. इसी दौरान आजीविका के लिए व्यवसाय बदलने के बारे में विचार किया तथा कानून की डिग्री भी हासिल की ताकि अपने पिता का अनुकरण कर सकें. वर्ष 1984 में कानून की डिग्री पूरी की, तथा एक अधिवक्ता (क्रिमिनल लॉयर) के रूप में अभ्यास करना शुरू करने वाले थे.
लेकिन, पिता के मार्गदर्शन से उनका हृदय परिवर्तन हो गया. “पिता, किशन राव मल्ले ने भगवदगीता के श्लोक का उद्धरण देते हुए कहा – एक डॉक्टर का काम मानव जाति की सेवा करना है. एक डॉक्टर को केवल पैसा कमाने के लिए वकील नहीं बनना चाहिए. उनकी सलाह ने मुझे वास्तव में इंसान बना दिया. और मैंने (डॉ. मल्हार) डॉक्टर के रूप में जरूरतमंदों की सेवा करने का निर्णय किया.”
अपनी शारीरिक व्याधि से परेशान गरीब, जरुरतमंद लोगों का जीवन बचाने वाला, उन्हें समझने वाला डॉक्टर मुझे बनना है, यह निश्चय कर डॉ. मल्ले ने नाममात्र के शुल्क पर मरीजों के उपचार का कार्य शुरू किया.
डॉ. मल्ले अपने मरीजों से वर्ष १९९५ तक केवल ३ रुपये शुल्क लेते थे. १९९५ के बाद उन्होंने अपनी परामर्श शुल्क बढ़ाकर १० रुपये किया, अक्तूबर २०२० तक वह अपने पास आने वाले मरीजों से १० रुपये शुल्क लेते थे. जहां अन्य स्थानों पर वर्तमान में वह केवल 20 रुपये शुल्क लेते हैं.
डॉ. मल्ले रेड क्रॉस सहित अन्य संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं. लाखों छात्रों को सेवा की सीख दे चुके हैं, काले छात्रों को फर्स्ट एड का प्रशिक्षण भी प्रदान किया है. रक्तदान व स्वास्थ्य जांच शिविरों के आयोजन में सहयोग करते हैं. स्वयं भी 54 बार रक्तदान कर चुके हैं.
75 वर्षीय डॉ. मल्ले कुछ माह पहले तक पूरा दिन मरीजों की जांच करते थे, अभी प्रातः दस बजे से 1.30 बजे तक मरीजों की जांच करते हैं. कोरोना के खिलाफ जंग में भी सक्रिय सहयोग निभा रहे हैं, अभी तक 15000 लोगों का टीकाकरण कर चुके हैं.
डॉ. मल्हार मल्ले समाज के प्रति अपना दायित्व निभा रहे हैं, वह सराहनीय है. तथा उनका यह कार्य प्रेरणादायी व अनुकरणीय है.