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लेकिन, मेरे देश को बख्श दीजिए…!!!

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के.के. उपाध्याय

दिल्ली रौंद दी गई. लालकिले पर तिरंगा लहराता था. राष्ट्रीय ध्वज की जगह धर्म ध्वजा टंग गई. ट्रैक्टर बेक़ाबू हो चले. पत्रकारों के कैमरे टूटे, सिर फूटे. दिल्ली की सड़कों पर नंगा नाच हुआ. एक ट्रैक्टर ने पुलिस वालों को कुचलने का प्रयास किया. बैरिकेडिंग तोड़े गए. आंदोलन हिंसक हो गया. किसानों के नाम पर राजनीति चमकी. लाल झंडे लहराए. हंसिया और हथौड़े वाले झंडे. इनका मकसद समाधान नहीं अराजकता है. हिंसा इनका हथियार है. लहू जब बहता है, तब इनकी विचारधारा पलती है. यह रक्त पर राजनीति करते हैं. यह किसानों के रहनुमा नहीं हैं. यह सिर्फ़ अराजक है, अलोकतांत्रिक हैं. यह नक्सलवाद का अपग्रेड संस्करण है. सिस्टम को ध्वस्त करना ही मक़सद है. आज अन्नदाता शर्मिन्दा है. यह उत्पात उनके नाम पर हुआ है. जो लोग दो महीने से सड़कों पर हैं, उनमें किसान हैं भी या नहीं ? या किसानों के नाम पर रोटियां सेंक रहे हैं. मक़सद किसान नहीं है. किसान तो खेत में है. घर पर है. जहां धरना है, वहां की व्यवस्था शानदार है.

खैर, किसानों के नाम पर राजनीतिक दल निकल पड़े. कोई लाल झंडे लगाकर. कोई लाल – हरी टोपी पहन कर. सरकार का विरोध करना है करिए. देश का विरोध क्यों कर बैठे ? दिल्ली की छाती पर यह कैसा तांडव था ? पुलिस ने आज सब्र से काम लिया. धैर्य नहीं खोया. इरादा तो कुछ और ही था. एजेंडा भी भटका हुआ था. आंदोलन नहीं यह उत्पात था. देश विरोधी उत्पात. अब बात किसानों की. सरकार झुक चुकी थी. बिल स्थगित करने को तैयार थी. मांगें भी लगभग मान ही ली थी. पर किसानों की चिंता किसे थी ? यह तो सरकार को झुकाने पर आमादा हैं. हठधर्मी हैं. यह ऐशो-आराम का आंदोलन कौन चला रहा है? ट्रैक्टर परेड ज़रूरी थी क्या ? वह भी गणतंत्र दिवस के दिन. यूँ हर कोई परेड निकालेगा तो देश कहां रह जाएगा. सिस्टम चरमरा जाएगा. यह समानांतर व्यवस्था चलाने की कोशिश थी. जो परेड गणतंत्र पर निकलती है, उसकी तैयारियां महीने भर पहले से होती हैं. रिहर्सल होती है. तब देश का मान बढ़ता है. अभिमान से भाल दमकता है. तब आकाश में तिरंगा लहराता है. आज गणतंत्र शर्मसार हुआ. देश का मान मर्दन हुआ है. देश का भाल झुका झुका सा है. सरकार को मिटाने के लिए यह लोग देश दांव पर लगा बैठे.

आपको अपना आंदोलन करना है करिए. सरकार से लड़ना है लड़िए. सरकार का विरोध करना है करिए. अपनी राजनीति करना है करिए. लेकिन, मेरे देश को बख्श दीजिए.

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