गीता से बन सकती है सबको अपना मानने की प्रकृति : प.पू. सरसंघचालक VSK Bharat December 3, 2014December 3, 2014 बैनर स्लाइडर विचार 5 हजार 1 सौ 51 वर्ष भगवद्गीता के पूरे हुये और हमारे विदेशी दिनदर्शिका में प्रतिवर्ष गीता जयंती है. आज भी अपने देश में सर्वत्र...
सौहार्द से भरे विश्व की खोज VSK Bharat November 28, 2014 विचार मैं हमेशा कहता रहा हूं कि दुनिया भर के सात अरब लोग हैसियत और ताकत में जैसे भी हों, मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक रूप से...
ईसाइयत की आंधी और पश्चिमी देशों की थानेदारी VSK Bharat November 17, 2014 विचार पिछले कुछ समय से किसी भी महासत्ता की कसौटी इस बात पर निर्भर होती आ रही है कि विश्व के अन्य देशों पर उसका किस...
भारत-तोड़ो जमात के प्यादे VSK Bharat November 14, 2014 विचार बीसवीं और इक्कीसवीं सदी विकसित विज्ञान की सदी मानी जाती है. सूचना तकनीक, जैविक तकनीक और नैनो तकनीक का इतना विस्तार हुआ है कि आज...
हिन्दू दर्शन भारतीय है और वैश्विक भी : डॉ. कृष्ण गोपाल VSK Bharat November 5, 2014November 5, 2014 विचार हम जानते हैं कि सभी देश और हर एक समाज का एक विशिष्ट ‘स्वाभाविक-स्वभाव’ होता है. उस देश व समाज की वह एक विशिष्ट पहचान...
परिपूर्ण मानव – श्री गुरुजी VSK Bharat October 18, 2014October 18, 2014 विचार भारतीय जीवन-सिद्धांतों के संबंध में आज फिर से विचार करने की आवश्यकता उत्पन्न हुई है. इसका कारण बड़ा स्पष्ट और सरल है. हमें पता है...
इतिहास बदलकर भारत को तोड़ने में लगी हैं चर्च-पोषित संस्थायें VSK Bharat October 16, 2014 विचार लगभग चार वर्ष पूर्व 'ब्रेकिंग इंडिया' पुस्तक ने 'अफ्रो-दलित' विषय को पहली बार उजागर किया था. बाद में भी इस संदर्भ में कई घटनायें घटीं....
आध्यात्मिक बने बिना आजादी असंभव: दादा वासवानी VSK Bharat October 6, 2014 विचार विजयादशमी समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में साधु वासवानी मिशन के अध्यक्ष दादा वासवानी जी को आमंत्रित किया गया था, लेकिन स्वास्थ्य कारणों के...
प.पू. सरसंघचालक जी का श्री विजयादशमी उद्बोधन VSK Bharat October 3, 2014October 4, 2014 विचार एक वर्ष के पश्चात् फिर से हम सब विजयादशमी के पुण्यपर्व पर यहाँ एकत्रित हैं, परंतु इस वर्ष का वातावरण भिन्न है यह अनुभव हम...
एकात्म मानव दर्शन – पंडित दीनदयाल उपाध्याय VSK Bharat September 25, 2014September 28, 2018 विचार आज स्वतंत्रता-प्राप्ति के 66 वर्ष उपरान्त भी भारत के सामने एक महत्वपूर्ण प्रश्न बना हुआ है कि सम्पूर्ण जीवन की रचनात्मक दृष्टि से कौन-सी दिशा...