नई दिल्ली. सीमा विवाद के बीच दीपावली पर चीन को झटका लगने वाला है. सरकार ने खिलौनों के आयात से संबंधित नियमों में सख्ती की है. तो वहीं व्यापारियों ने चन निर्मित झालर न मंगवाने का संकल्प लिया है.
वहीं, दीपावली पर चीन को सबक सिखाने के लिए राष्ट्रीय कामधेनु आयोग गाय के गोबर से 33 करोड़ दीयों को बनाकर बाजार में उतारेगा. आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कथीरिया ने कहा कि हमारा उद्देश्य चीन निर्मित दीयों को खारिज कर मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना है.
अभियान में शामिल होने के लिए 15 से अधिक राज्यों ने अपनी सहमति दी है. लगभग तीन लाख दीये पवित्र शहर अयोध्या में जलाए जाएंगे, जबकि वाराणसी में एक लाख दीये जलाए जाएंगे. स्वैच्छिक संगठनों की मदद से इसे बनाने का कार्य शुरू हो चुका है. दीपावली तक 33 करोड़ दीये बनाने के लक्ष्य को पूरा कर लिया जाएगा.
भारतीय मवेशियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए 2019 में स्थापित किए गए आयोग ने आगामी त्योहार के दौरान गोबर आधारित उत्पादों के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू किया है. इस कार्य में स्वयंसेवी संगठनों और गोशालाओं से भी मदद ली जा रही है. आयोग गाय के गोबर से बने उत्पादों को स्वयं नहीं बना रहा, बल्कि लोगों को ट्रेनिंग देकर इस काम के लिए प्रोत्साहित कर रहा है. आयोग को सफलता भी मिल रही है.
इस दिशा में गांवों में छोटे-छोटे प्रयास हो रहे हैं. गांव की मिट्टी से जुड़ी शिक्षित महिलाओं ने देश की संस्कृति को विस्तार देने के साथ ही कई परिवारों के जीवकोपार्जन का साधन भी खोज निकाला. ग्राम चुटिया निवासी प्रीति ने गाय के गोबर से दीपक और रंगोली बनाने का गुर सिखाकर अनेक महिलाओं के लिए संपन्नता के द्वार खोले हैं. गोंदिया तहसील अंतर्गत ग्राम चुटिया निवासी प्रीति टेंभरे रंगोली और दीयों को दीपोत्सव में देश के कोने-कोने तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हैं. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के मार्गदर्शन में यह पहल की है. प्रीति ने अपने पति की गौशाला में काम करते हुए क्षेत्र की महिलाओं को गोबर से दीपक, रंगोली और मूर्तियां बनाने का प्रशिक्षण दिया. अब यही प्रशिक्षित महिलाएं गाय के गोबर से आकर्षक दीपक और रंगोली बना रही हैं. गोबर में गोंद, विशेष वृक्ष की छाल, एलोविरा, मेथी के बीज, इमली के बीज आदि को मिलाकर इसे सांचे में ढालकर आकर्षक दीपक का रूप दिया जाता है. पहले चरण में सामग्री को दिल्ली, गुजरात के जामनगर, राजकोट, अहमदाबाद, मध्यप्रदेश के रतलाम तथा महाराष्ट्र के मुंबई, औरंगाबाद, जलगांव, नागपुर एवं अन्य प्रमुख शहरों में भिजवाया जा रहा है. इन शहरों से 14 हजार दीपों के आर्डर आ चुके हैं.