करंट टॉपिक्स

सराहनीय – वाल्मीकि समाज की बेटी का गांववासियों ने मिलकर किया कन्यादान

Spread the love

जालौर…, जालौर का नाम तो आपने सुना ही होगा. अभी हाल ही में एकाएक बहुत चर्चा में आ गया था. आज जालौर के वास्तविक स्वरूप के दर्शन करवाते हैं.

जिला मुख्यालय से मात्र 10 किलोमीटर दूर स्थित एक गांव सांकरणा. जातिगत विद्वेष के तथाकथित माहौल में वहां से एक सकारात्मक खबर आई है. यहां, गांव के सभी लोगों ने मिलकर वाल्मीकि समाज की एक बालिका को गांव की बेटी मानते हुए धूमधाम से उसका विवाह किया और सामाजिक समरसता का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया.

जालौर जिले के सांकरणा गांव में अनुसूचित समाज से संबंधित जगदीश कुमार का देहांत हो चुका है, उनकी पुत्री का विवाह गांव के ही सुरेश सिंह पुत्र भैरुसिंह राजपुरोहित के नेतृत्व में समस्त ग्रामवासियों ने किया. सुरेश सिंह राजपुरोहित ने अपने स्वयं के घर में विवाह आयोजित कर कन्यादान किया, और इस दौरान कथित दलित परिवार को परिवार भाव के साथ अपने घर में रखा.

बैन्ड व ढोल थाली से ग्रामवासियों ने बारात का स्वागत किया, कथित उच्च वर्ग की महिलाओं ने सज धजकर मंगल गीतों के साथ वाल्मीकि समाज के दूल्हे का स्वागत किया एवं उसी प्रकार गांव के सभी लोगों ने अपनी बेटी को विदाई भी दी. विशेष बात यह कि स्वच्छता कार्य करने वाली महिला का गांव में व्यवहार और विनम्रता इतनी अच्छी है कि गांव के साथ अनेक प्रवासी भी विवाह समारोह के लिए मुंबई से गांव तक आए.

विवाह की अन्य व्यवस्थाएं जुटाने के साथ ही गांव के लोगों ने अपने गांव की बेटी के लिए इतने उपहार दिए कि ट्रैक्टर ट्रॉली भर गई. सर्व समाज के लोगों ने कन्यादान में राशि दी. सुरेश सिंह राजपुरोहित, गोपाल सिंह राजपुरोहित, बाबूसिंह राजपुरोहित, हंसाराम जी खवास, देवी सिंह राजपुरोहित सहित  ग्रामवासियों ने समस्त अतिथियों का सम्मान किया.

अब कोई यह मत कह देना कि इतने दिन कहां थे. ऐसे बहुत सारे सात्विक कार्य, अच्छे काम, हमारे चारों ओर होते रहते हैं. देखने की सृष्टि होनी चाहिए. यह घटना, यह दृश्य अपने आप में इकलौता उदाहरण नहीं है, ऐसे बहुत सारे उदाहरण हमारे आसपास हैं. पर, सामान्यतः परिवार भाव, अपनत्व, कर्तव्य भाव के साथ संपन्न इन प्रसंगों का लोग प्रचार प्रसार नहीं करते…. क्योंकि मन का संस्कार है.

6 वर्ष पूर्व ऐसे ही एक अति पिछड़े सामाजिक वर्ग के पहले सामूहिक विवाह कार्यक्रम में गोदन विद्यालय के साथियों ने मिलकर 40 सेट पलंग (बिस्तर, तकिया चद्दर सहित) की व्यवस्था की थी.

जालौर में लगभग 3-4 वर्ष पूर्व एक अति पिछड़े वर्ग के भव्य सामाजिक सम्मेलन की सारी व्यवस्थाएं अन्य समाज बंधुओं ने अपना कर्तव्य मान कर की थीं.

तथाकथित अगड़ों द्वारा पिछड़े समाज बंधुओं की शादी ब्याह में सहयोग करने के अनेक उदाहरण हैं, गांव गांव में उदाहरण हैं, धर्म बहन बनाकर जीवन पर्यंत रिश्ता निभाने के उदाहरण हैं, मायरा भरने की सैकड़ों घटनाएं हैं.

अच्छे काम करना, लगातार करना, और अच्छे कार्यों की रेखा को बड़ा करते जाना ही पुराने घावों का इलाज है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *