फोटो – गाजियाबाद के पैसिफिक मॉल में लगी भगवान राम की प्रतिमा
अयोध्या. श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने निर्णय लिया है कि एलएंडटी, टाटा एवं सीमपुरा से राम मन्दिर के समयबद्ध निर्माण हेतु नए अनुबन्ध पर समझौता किया जाएगा. ट्रस्ट की तीन दिवसीय बैठक में यह निर्णय लेते हुए तय किया गया कि कानूनी रूप से सबकी जवाबदेही तय की जाएगी, जिससे उच्च गुणवत्ता युक्त समयबद्ध निर्माण कार्य हो सके. मन्दिर निर्माण के साथ 71 एकड़ परिसर के सम्पूर्ण विकास की परियोजना भी साथ ही साथ बनाई जाएगी. इस परियोजना में देश के जाने माने वास्तुविद एवं स्थापत्य विशारदों से सुझाव भी लिए जाएंगे. धर्माचार्यों से भी राय लेकर 71 एकड़ की विकास परियोजना को अन्तिम रूप दिया जाएगा. मन्दिर निर्माण की मुख्य कार्यदायी संस्था लारसन एण्ड टूब्रो से सशर्त अनुबन्ध किया जाएगा. इसके लिए मन्दिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेन्द्र मिश्र को अनुबन्ध का अन्तिम रूप तय करने एवं नेगोशिएशन करने हेतु ट्रस्ट ने अधिकृत कर दिया है. पहले लारसन एंड टूब्रो कम्पनी ने श्रद्धा एवं विश्वास के आधार पर मन्दिर निर्माण हेतु मेमोरेण्डम आफ अण्डरस्टैन्डिंग पर हस्ताक्षर किया था. एक निर्णय यह भी हुआ कि वैदिक वास्तु की दृष्टि से उत्तर एक दक्षिण भारत के पांच वास्तुविदों की एक अलग समिति भी बनाई जाए.
उल्लेखनीय है कि एलएण्डटी ने 25 मार्च, 2020 के बाद अयोध्या में काम की जिम्मेदारी भी संभाल ली थी. फिलहाल ट्रस्ट ने निर्णय लिया है कि वह किसी से उपकृत होने के बजाय जवाबदेही से काम के लिए व्यावसायिक अनुबंध करेगा. इस अनुबंध में उभय पक्षों के हितों को सुरक्षित रखते हुए सभी आवश्यक शर्तें शामिल होंगी.
तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय ने बताया कि इसमें समिति के साथ आईआईटी, रुड़की के विशेषज्ञों के अलावा एलएण्डटी एवं टाटा इंजीनियरिंग व कंसल्टेंसी, मुम्बई के साथ अक्षरधाम के ब्रह्मबिहारी स्वामी तथा ट्रस्ट के विशेषज्ञ जगदीश के बीच महत्वपूर्ण विमर्श हुआ. तय किया गया कि मन्दिर निर्माण की अधिकृत निर्माण ईकाई एलएंडटी ही होगी..