जैसे ही ये फोटो देखा, आश्चर्य, विस्मय, दु:ख जैसी समस्त भंगिमाएं चेहरे पर उतर आईं. ये धार की भोजशाला का फोटो है. भोजशाला, जिसका निर्माण राजा भोज ने कराया था, यह भगवती सरस्वती का मंदिर और संस्कृत की विश्वविख्यात स्थान रहा है.
लेकिन भोजशाला को मस्जिद में बदलकर उसके पूरे वैभव को समाप्त करने का षड्यंत्र आज तक चल रहा है. भोजशाला में पिछले तीन दिनों से कमाल मौलाना के उर्स का कार्यक्रम हो रहा था.
कमाल मौलाना के बारे में कहते हैं कि अरब के इस फकीर ने मालवा में झाड़-फूंक की आड़ में अगणित हिन्दुओं को मुस्लिम बनाया और बाद में लाखों हिन्दुओं का बलिदान हुआ. भोजशाला परिसर में उसी के नाम पर निर्माण किया गया, नमाज शुरू की और आज पूरी भोजशाला को मस्जिद में बदलने का षड्यंत्र जोरों पर है.
भोजशाला, जो देखने पर ही स्पष्ट हो रहा है कि यह कोई प्राचीन हिन्दू स्थल है. क्योंकि दुनिया में कितनी मस्जिदों में ऐसे स्तंभ हैं? मस्जिदों के स्तंभों पर क्या हिन्दू धर्म के प्रतीक चिन्ह (शंख, घंटी इत्यादि) होते हैं? क्या मस्जिदों में कालसर्प दोष से मुक्ति के यंत्र होते हैं? क्या मस्जिदों में हवन कुंड होते हैं?
भोजशाला में यह सब है. भोजशाला का एक -एक कण कहता है कि वह हिन्दुओं का प्राचीन स्थल है, फिर भी हजारों- हजार लोग भोजशाला में नमाज अदा कर रहे हैं. नमाजियों की संख्या इतनी की वे हवन कुंड पर भी बैठे हैं.
ये केवल धार के नमाजी नहीं हैं, ये जिले भर के भी नहीं हैं. इनमें तो बाहर से आए लोग भी शामिल हैं, यह उर्स के व्यापारिक मेले के दौरान एक आपराधिक घटना के आरोपी के पकड़े जाने पर ही सिद्ध हो गया.
……पर आखिर क्यों, धार की भोजशाला को जामा मस्जिद बनाने का षड्यंत्र चल रहा है? विजय मंदिर को लाट मस्जिद कह संबोधित किया जा रहा है?
जिस कमाल मौलाना की मृत्यु कर्णावती (अहमदाबाद) में हुई, वहीं उसे गाड़ा गया. उसके नाम पर धार में निर्माण क्यों और भोजशाला में ही क्यों?
शायद इसलिए क्योंकि जो कमाल मौलाना ने मालवा में किया, उसी की प्रेरणा मिलती रहे. इसलिए तो उसे “शहंशाह-ए-मालवा” कहा जा रहा है.
भोजशाला संस्कृत का एक स्थापित विश्वविद्यालय है, वाग्देवी का मंदिर है. उसी वैभव की प्राप्ति के लिए भोजशाला में प्रत्येक मंगलवार को हिन्दू सत्याग्रह करते हैं, भगवती वाग्देवी का पूजन करते हैं. प्रति शुक्रवार को मुस्लिम भोजशाला को हथियाने को नमाज अदा करते हैं.
दोनों की संख्या के फोटो बताते हैं कि जो स्थापित है, वे अपनी धरोहर के लिए कितने सचेत हैं और जिन्हें हथियाना है, वे अतिक्रमण के लिए कितने प्रयासरत हैं.
अब भगवती की प्रतिमा लंदन से शीघ्र आए और भोजशाला में पुनः स्थापित हो, ऐसी इच्छा है.
अमन व्यास