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कोरोना वायरस किसी भी प्राकृतिक कारण से उत्पन्न नहीं हुआ – अतुल अनेजा

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नई दिल्ली. चीन एक वैश्विक खतरा (तियानमेन चौक नरसंहार से लेकर कोविड-19 परिपेक्ष्य में) विषय पर द नैरेटिव की तरफ से आयोजित सात दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार के तीसरे दिन 6 जून को “वुहान वायरस : भारत के लिए सबक” विषय पर चीन के विशेषज्ञ एवं रक्षा विश्लेषक अतुल अनेजा ने कार्यक्रम में मुख्य वक्ता रहे.

अतुल अनेजा ने “वुहान वायरस : भारत के लिए सबक” विषय को काफी दिलचस्प विषय बताया. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी की दो थ्योरी है. पहली थ्योरी है कि यह प्राकृतिक कारणों से आया है, वहीं दूसरी थ्योरी यह है कि ये कोई प्राकृतिक कारणों से आई महामारी नहीं है, बल्कि इस वायरस को बनाया गया है. अगर इमानदारी से यह देखा जाए तो हम किसी निष्कर्ष पर पहुंच नहीं सकते हैं. मगर इस दिशा में अगर जानकारी इकट्ठा की जाए, तो कुछ हद तक यह जाना जा सकता है कि यह प्राकृतिक रूप से उत्पन्न वायरस है या इस वायरस को बनाया गया है, इसका विश्लेषण किया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि सर्वप्रथम प्राकृतिक कारणों की बात की जाए तो हमें यह दिखेगा कि यह  SARS-CoV 2 वायरस है, इसके पहले SARS-1 आया था. वहीं MERS नाम का कोरोना वायरस भी पहले भी आ चुका है. तो यह साफ नजर आता है कि यह दोनों प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न हुए थे.

MERS वायरस का संपर्क चमगादड़ से था. वहां से इस वायरस की शुरुआत हुई, उसके बाद यह ऊंटों में फैला, फिर ऊंटों से यह मनुष्य में आया तो इस पूरी प्रक्रिया से प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न हुए वायरस का पूरा क्रम साफ समझा जा सकता है. वहीं सार्स-1 की अगर बात करें तो यहां पर भी यह चमगादड़ से ही उत्पन्न हुआ था. वह किवेट्स नाम के चीनी जानवर में फैला, फिर मनुष्यो में आया.

उन्होंने कहा कि कोविड-19 से पहले इन दोनों वायरस में किसी भी प्रकार का कोई विवाद नहीं है, यह समझने के लिए कि ये प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न हुए थे. अब सार्स कोविड को देखते हैं, कोरोना को आए कई महीने हो चुके हैं. पहला केस दिसंबर 2019 में आया था, हालांकि अमेरिका की खुफिया एजेंसी के अनुसार यह कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस का पहला केस नवंबर में ही वुहान लैब में रिसर्च कर रहे वैज्ञानिकों में आ गया था. संभावना है कि वे इस वायरस को बना रहे थे. मगर इतने महीनों में अगर हम यह विश्लेषण करें कि यह वायरस कहां से कैसे उत्पन्न हुआ तो यह किसी भी तरीके से प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न हुए वायरस की तरफ इशारा नहीं करता है और ना ही उससे कोई संबंध दिखाता है. तो यह कहना बिल्कुल गलत है कि ये प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न हुआ वायरस है, इस पर अब तक कोई भी वैज्ञानिक शोध नहीं आया है. बिना किसी आधार के यह कहा गया कि कोरोना वायरस प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न हुआ है, यह पूरी तरह से गलत है.

उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न नहीं हुआ है, इसे बनाया गया है. इस वायरस की जहाँ उत्पत्ति हुई है, वह वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी हो सकता है. इसके कई कारण हैं. ‘गेन ऑफ फंक्शन’ रिसर्च, — ‘गेन ऑफ फंक्शन’ के बारे में सरल तरीके से अगर समझा जाए तो “किसी वायरस को इस प्रक्रिया में और ज्यादा संक्रामक बनाया जाता है, इस प्रक्रिया में उसकी तीव्रता पर काम किया जाता है. “गेन ऑफ फंक्शन” का उपयोग मुख्य रूप से इसलिए किया जाता है कि किसी वायरस में कितना ज्यादा बदलाव हो सकता है और वह कितना ज्यादा संक्रामक हो सकता है.

इस फंक्शन से यह जानने का प्रयास किया जाता है कि यह बीमारी और कितना ज्यादा खतरनाक हो सकती है. अब यह तो पता है कि “गेन ऑफ फंक्शन” रिसर्च वुहान इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी में हो रहा है.

अतुल अनेजा ने कहा कि वुहान इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोंलॉजी में जो फंडिंग आ रही है, उसका कुछ हिस्सा अमेरिकन संस्था नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जिक एंड इनफेक्शियस डीसीस से भी आ रहा है.

कोरोना वायरस प्राकृतिक कारणों से उत्पन्न नहीं हुआ है तो इसकी जांच होनी चाहिए. मगर इसकी निष्पक्ष जांच हो पाना भी मुश्किल है क्योंकि इसके पीछे बहुत शक्तिशाली ताकतें हैं.

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