ज्ञानवापी परिसर में स्थिति शिवलिंग की कार्बन डेटिंग कराए जाने के अनुरोध वाली याचिका को वाराणसी की जिला अदालत ने शुक्रवार को खारिज कर दिया.
जिला न्यायाधीश डॉ. एके विश्वेश ने ‘शिवलिंग’ को सुरक्षित रखने और उसके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करने से जुड़े उच्चतम न्यायालय के निर्देशों का हवाला देते हुए ‘शिवलिंग’ की वैज्ञानिक जांच और कार्बन डेटिंग की मांग करने वाली हिन्दू याचिकाकर्ताओं की अर्जी खारिज कर दी. हिन्दू पक्ष और मस्जिद समिति की दलीलों पर सुनवाई पूरी होने के बाद जिला अदालत ने 14 अक्तूबर तक के लिए निर्णय सुरक्षित रख लिया था.
न्यायाधीश ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि अधिवक्ता कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान जो शिवलिंग पाया गया है, उसे सुरक्षित रखा जाए. ऐसी स्थिति में यदि कार्बन डेटिंग का प्रयोग करने पर या ग्राउंड पेनीट्रेटिंग राडार का प्रयोग करने पर शिवलिंग को क्षति पहुंचती है तो यह सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन होगा. इसके अतिरिक्त ऐसा होने पर आम जनता की धार्मिक भावनाओं को भी चोट पहुंच सकती है. मेरे यह भी विचार हैं कि इस स्तर पर अधिवक्ता कमिश्नर की कार्यवाही के दौरान 17 मई को पाए गए शिवलिंग की आयु, प्रकृति और संरचना का निर्धारण करने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वे को निर्देश दिया जाना उचित नहीं होगा. जिसके बाद मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचता हूं कि प्रार्थना-पत्र 250 ग निरस्त होने योग्य है.
हिन्दू पक्ष के वकील शिवम गौर के अनुसार, उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप और जनभावना को ध्यान में रखते हुए कार्बन डेटिंग की अनुमति नहीं दी जा सकती है और वजूखाना सील ही रहेगा. पांच हिन्दू पक्षकारों में से चार ने ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग की मांग की थी, जो न्यायालय के आदेश पर परिसर की वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान ‘वज़ूखाना’ में मिला था.
मस्जिद समिति ने कार्बन डेटिंग की मांग का विरोध किया था और कहा था कि वह शिवलिंग नहीं, बल्कि वजूखाने के फव्वारे का हिस्सा है.
गौरतलब है कि मस्जिद ज्ञानवापी काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर के बगल में बनी है और वाराणसी की अदालत में चल रहे इस मुकदमे से उन दावों को फिर से बल मिलने लगा है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के कहने पर मंदिर के एक हिस्से को गिरा कर उसकी जगह मस्जिद बनाई गई थी.