तिरुवन्नामलाई म्युनिसिपल बॉयज़ स्कूल के सैकड़ों छात्रों ने अपने कंधों पर 63 नायनमारों (शैव संतों) की मूर्तियों के साथ छोटी पालकी लेकर पूरे रास्ते खुशी से “हरो हरा!”, के नारे लगाते हुए 60 साल पुरानी परंपरा को जीवित रखा. उनके चेहरे उत्साह और गर्व से भरपूर थे.
वे इसे अपना सौभाग्य मानते हैं क्योंकि इस सेवा में केवल उनके स्कूल को ही अनुमति है. यह 10 दिवसीय दीपम उत्सव का हिस्सा है, जिसके लिए यह पवित्र शहर जाना जाता है. मानवाधिकारों का रोना रोने वाले हिन्दू-विरोधी तत्व बाल उत्पीड़न के घिसे-पिटे नारे के साथ मैदान में कूद पड़े थे. जब भक्तों ने उनकी मंशा को सफळ नहीं होने दिया. उन्हें इस तथ्य से अवगत कराया कि अरुणाचलेश्वर (शिव) मंदिर प्रबंधन और सरकारी स्कूल के प्रबंधन के बीच यह दशकों पुरानी समझ है. यहां तक कि ईश्वर-विरोधी, हिन्दू-विरोधी राज्य शासन ने भी इससे दूरी बनाए रखी. एक तमिल दैनिक के पत्रकार प्रवीण ने कहा, अपने स्कूल के दिनों में, वह नायनमार पालकी को उठा नहीं सके क्योंकि तिरुवन्नामलाई के मूल निवासी होने के बावजूद, उनकी स्कूली शिक्षा एक निजी स्कूल में हुई थी. पंच भूत स्थलों में से, तिरुवन्नामलाई अग्नि क्षेत्र है, जिसे सदियों से सिद्ध आत्माओं (सिद्धर्) के तपस द्वारा पवित्र किया गया है. दुनिया के कई हिस्सों से साधक इसके आध्यात्मिक माहौल को आत्मसात करने के लिए इस स्थान पर आते हैं.