नई दिल्ली. गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिल्ली में जो हुआ 72 साल के इतिहास में कभी नहीं हुआ. देश की शान के प्रतीक लाल किले पर दंगाइयों ने जमकर हिंसा और तोड़फोड़ की. ये लोकतंत्र का अपमान और संविधान पर सीधा हमला है. देश की अखंडता व सुरक्षा के लिए बलिदान देने वाले समस्त सेनानिनयों का अपमान है.
इन दंगाइयों ने केवल लाल किले के अंदर ही तोड़फोड़ नहीं की, बल्कि 26 जनवरी की परेड में शामिल झांकियों को भी नुकसान पहुंचाया. दंगाइयों ने परेड के बाद लाल किला परिसर में खड़ी झांकियों को भी तोड़ डाला. उन्होंने कल्चर मनिस्ट्री, सीपीडब्ल्यूडी, सूचना प्रसारण मंत्रालय, वोकल फॉर लोकल, मेड इन इंडिया और कोविड-19 वैक्सीन की झांकियों को तोड़ा. इसके अलावा राम मंदिर (उत्तरप्रदेश), केदारनाथ (उत्तराखंड) की झांकियों को भी नुकसान पहुंचाया.
लाल किले के कोने-कोने दंगाईयों की अराजकता के सबूत देख सकते हैं. दंगाइयों ने परिसर में टिकट काउंटर में जबर्दस्त तोड़फोड़ की. कंप्यूटर और स्कैनर मशीन को तोड़ डाला, सीसीटीवी को तोड़ डाला. अंदर खड़ी पुलिस की जिप्सी, बस को तोड़ डाला. सुरक्षाकर्मियों का सामान तहस नहस कर दिया. एक बेहद ही खौफनाक तस्वीर भी सामने आई थी. हिंसा कर रही भीड़ पुलिस वालों को कुचलने का प्रयास कर रही थी और पुलिसकर्मी 20 फीट ऊपर से नीचे खाई में छलांग लगा रहे थे.
कल तक किसान नेता अपने भाषणों में किसानों को लाल किले और इंडिया गेट तक जाने के लिए भड़का रहे थे और आज खुद को दंगे और हिंसा से अलग कर रहे हैं और पल्ला झाड़ रहे हैं.
अब पुलिस एक्शन में आ गई है. दिल्ली पुलिस ने दिल्ली के विभिन्न स्थानों पर दंगा करने वाले 200 लोगों को हिरासत में लिया है. इसके अलावा पुलिस ने 22 एफआईआर भी दर्ज की हैं. इसमें किसान नेताओं के खिलाफ 5 एफआईआर भी शामिल हैं. दंगाईयों द्वारा की गई हिंसा में बड़ी संख्या में पुलिस कर्मियों को चोटें आईं हैं. दंगों में 300 पुलिस जवान घायल हुए हैं. इस बीच दिल्ली में आज सुरक्षा कड़ी कर दी गई है. लालकिला को छावनी में तब्दील कर दिया गया है.