हमीरपुर. हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिला के एक पूर्व सैनिक ने कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर चले रहे किसान आंदोलन में शामिल हुए अपने बेटे को अपनी चल-अचल संपत्ति से बेदखल कर दिया. हमीरपुर जिले के उपमंडल बड़सर के जमली गांव के पूर्व सैनिक अजमेर सिंह का कहना है कि उसके इकलौते बेटे परमजीत सिंह को यह तक नहीं पता है कि कब कौन सी फसल बीजी जाती है और वह किसान हितों की बात कर रहा है, आंदोलन में भाग ले रहा है.
पूर्व सैनिक अजमेर सिंह ने किसान आंदोलन को गलत बताते हुए दिल्ली पुलिस से मांग की कि आंदोलन में शामिल मेरे बेटे के खिलाफ कानून अनुसार कार्रवाई की जाए. अजमेर सिंह भारतीय सेना से वर्ष 2005 में सेवानिवृत्त हुए हैं. सेवानिवृत्ति के बाद वे अपने गांव में ही एक दुकान चलाते हैं और साथ में खेतीबाड़ी करते हैं. परमजीत उनका इकलौता बेटा है, जिसकी शादी हो चुकी है. बहू और पोती घर पर हैं, जबकि बेटा कुछ दिन पहले दिल्ली में किसान आंदोलन में भाग लेने पहुंच गया. एक चैनल पर बेटे को इंटरव्यू देते हुए अजमेर सिंह ने पहचान लिया. स्थानीय चैनल पर दिए इंटरव्यू में परमजीत ने किसानों के आंदोलन को सही बताया और चैनल पर ही प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की थी.
ये देखकर अजमेर सिंह नाराज हुए और अब बेटे को अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया. अजमेर सिंह का मानना है कि दिल्ली में चल रहा किसान आंदोलन सही नहीं है. वहां पर लोग मुफ्त का खाना और अन्य सुविधाएं हासिल कर रहे हैं. वह एक पूर्व सैनिक हैं और किसानों का हित नए कृषि कानूनों में है. अजमेर सिंह के निर्णय पर क्षेत्र के लोग हैरान हैं, वहीं कृषि कानूनों को लेकर देशवासियों में फैलाए गए भ्रम को अजमेर सिंह जैसे देशभक्त किसान किसी भी रूप में स्वीकार नहीं कर रहे और उसके लिए ठोस कदम भी उठाना पड़े तो उससे भी गुरेज नहीं कर रहे हैं.