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संचलन के माध्यम से अनुशासन, धैर्य, एकता का विकास होता है

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गोरक्ष. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गोरक्ष प्रांत के स्वयंसेवकों ने “गुणात्मक संचलन” निकाला. स्वयंसेवकों ने घोष ताल पर कदम से कदम मिलाकर सामूहिक एकता एवं अनुशासन का परिचय दिया. संचलन का अवलोकन अखिल भारतीय सह प्रचारक प्रमुख सुनील कुलकर्णी जी ने किया. संचलन के उपरांत महात्मा गांधी इंटर कॉलेज के प्रांगण में स्वयंसेवकों को सुनील कुलकर्णी जी का मार्गदर्शन प्राप्त हुआ.

उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय शारीरिक विभाग ने तय किया है कि गुणात्मक संचलन अपने शताब्दी वर्ष के प्रारंभ का पहला कार्यक्रम है. शारीरिक विभाग ने अपने हर जिले में गुणवत्ता युक्त संचलन करने का तय किया है. गुणवत्ता प्राप्त करने का यह पहला प्रयास है. प्रतिदिन अपने जिले की शाखा में 5 मिनट संचलन, भ्रमण, मितकाल आदि का अभ्यास नियमित करने से हमारे संचलन की गुणवत्ता बढ़ेगी.

संघ के इतिहास में 1927 में संचलन की परंपरा प्रारंभ हुई. शाखाओं में नियमित संचलन का अभ्यास शुरू हुआ. मार्तंड राव जोग ने संचलन का अभ्यास कराया और 1928 में 21 स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश में गुणवत्तापूर्ण संचलन घोष के ताल पर निकाला और समाज में चर्चा का विषय बना. संचलन ने समाज एवं स्वयंसेवकों में उत्साह का वातावरण बनाया. जितने स्वयंसेवक संचलन कर रहे थे, उसके तीन गुना स्वयंसेवक पीछे चल रहे थे. स्वयंसेवक होने के नाते हमें प्रतिवर्ष संचलन में भाग लेना चाहिए. संचलन के माध्यम से अनुशासन, धैर्य, साहस, एकता आदि का विकास होता है.

मंच पर गोरक्ष प्रांत संघचालक डॉ. महेंद्र अग्रवाल जी भी उपस्थित रहे.

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