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गाय के गोबर से लकड़ी बनाकर आठ हजार महिलाएं बनेंगी स्वावलंबी

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भोपाल. प्रदेश के सीधी जिले में गाय के गोबर से गौ-काष्ठ (गोबर की लकड़ी) बनाने की योजना है. इसके लिए आजीविका मिशन सीधी ने 30 महिलाओं के एक बैच को प्रशिक्षण देना प्रारंभ कर दिया है. प्रशिक्षण पूरा होने के पश्चात स्वयं सहायता समूह की महिलाएं गौ-काष्ठ बनाकर बेचने का कार्य प्रारंभ होगा.

आठ हजार महिलाएं बनेंगी आत्मनिर्भर

जिले में गाय के गोबर से गौ-काष्ठ (गोबर की लकड़ी) बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. इसके लिए आजीविका मिशन सीधी ने 30 महिलाओं के एक बैच को प्रशिक्षण देना शुरू किया है. इस कार्य की शुरुआत होने से आठ हजार से अधिक महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी. इस कार्य को लेकर समूह की महिलाओं में उत्साह देखने को मिल रहा है. गौ-काष्ठ को मुक्तिधाम में भी बेचा जाएगा, ताकि शवों का अंतिम संस्कार में ये काम आएं.

ऐसे तैयार किया जाएगा गौ-काष्ठ

जिले में 15 गौशाला ग्राम पंचायत स्तर पर बनाई गई हैं, जिसमें 13 गौशालाओं को स्वयं सहायता समूह की महिलाएं चला रही हैं.

एक समूह में 12 से 15 महिलाएं होती हैं. इसके अलावा उनके घर के सदस्य भी इस कार्य में जुटेंगे.

आजीविका मिशन इलेक्ट्रिक मशीन लगाएगा. इसके साथ ही गोबर में मिलाने वाले मसाला व अन्य सामग्रियों को उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि महिलाएं कम समय में ज्यादा से ज्यादा गौ-काष्ठ तैयार कर सकें. गौशाला में ही इलेक्ट्रॉनिक मशीन लगाई जाएगी, ताकि रॉ मेटेरियल लेने के बाद तत्काल बनाया जा सके.

गौ-काष्ठ को खुले बाजार में पांच रुपये प्रति किलो, जबकि मुक्तिधाम में चार रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाएगा.

स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने बताया कि वे गोबर से बनी लकड़ियों को शांति धाम में बेचेंगी. गाय का गोबर शुद्ध और पवित्र माना जाता है. मुक्तिधाम में लोग पेड़ों की लकड़ियों के बजाय गाय के गोबर से बनी लकड़ी का उपयोग करेंगे तो अच्छा होगा. इससे लकड़ी की खपत भी कम होगी.

जिला सीधी के कलेक्टर रवींद्र कुमार ने कहा कि – गाय के गोबर से गौ-काष्ठ तैयार करने का प्रशिक्षण स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को दिया जा रहा है. जल्द ही काम शुरू कर दिया जाएगा जिससे महिलाएं आत्मनिर्भर बनेंगी.

गाय के गोबर से बनने वाले गौ-काष्ठ का प्रशिक्षण 30 महिलाओं को दिया जा रहा है. एक सप्ताह के भीतर प्रशिक्षण समाप्त हो जाएगा. इसकी शुरुआत पांच गौशालाओं से होगी और फिर सभी गौशाला में गौ-काष्ठ तैयार किया जाएगा. — संजय चौरसिया, डीपीएम, एनआरएलएम सीधी

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