नई दिल्ली. वर्तमान परिस्थिति कठिन और चुनौतिपूर्ण है. हमारा देश एक विशाल देश है. 12वीं की बोर्ड परीक्षा का स्वरूप राज्यों के हिसाब से विकल्प के साथ होना चाहिए. शिक्षा देश की नींव होती है. विद्यार्थियों के भविष्य की सुनिश्चितता आवश्यक है. बच्चों की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखते हुए, 12वीं की परीक्षा होना भी ज़रूरी है. डेढ़ वर्ष से देश में शिक्षण कार्य बंद जैसा ही है. एक वर्ष परीक्षा ना देने का प्रभाव जीवन भर बना रहता है. न्यास के सचिव अतुल कोठारी शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा “बोर्ड परीक्षा का स्वरूप : छात्रों का भविष्य” विषय पर आयोजित परिसंवाद को सम्बोधित कर रहे थे.
परिसंवाद को सम्बोधित करते हुए NCERT की कार्यकारिणी सदस्य अनिता शर्मा ने बताया कि 1 करोड़ 40 लाख विद्यार्थियों का भविष्य तय करने वाली 12वीं बोर्ड परीक्षा विद्यार्थियों के लिए टर्निंग पाइंट की तरह रहती है. परीक्षा के पक्ष-विपक्ष में बच्चे सर्वोच्च न्यायालय तक गए हैं. इसी को दृष्टिगत रखते हुए यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है. जिसमें छात्र, शिक्षक, शिक्षाविद, प्रबंधक, चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक आदि सभी को एक मंच पर लाकर चर्चा की गयी.
कार्यक्रम के आयोजन से जुड़े एड्वर्ड मेंढे ने बताया कि परिसंवाद में सभी ने एक मत होकर परीक्षा आयोजित करने पर अपनी सहमति प्रदान की. साथ ही परीक्षा के स्वरूप को लेकर आए सुझावों को सम्मिलित कर शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास द्वारा मा. प्रधानमंत्री एवं शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल को ज्ञापन भेजा गया.
ज्ञापन के माध्यम से परीक्षा आयोजन के सम्बंध में न्यास द्वारा सुझाव दिए गए. जो विद्यार्थी किसी कारणवश अभी परीक्षा नहीं दे सकते, उन्हें दूसरा अवसर दिया जाना चाहिए. यदि परीक्षा प्रत्यक्ष (ऑफ़लाइन) माध्यम से आयोजित की जाती है तो परीक्षाओं का सरलीकरण हो, सम-विषय (जैसे विज्ञान के विविध विषय) का एक पेपर ही लिया जाए. साथ ही परीक्षा की समयावधि कम करने पर भी विचार किया जाना चाहिए. प्रत्यक्ष परीक्षा को लेकर सुझाव दिया गया कि अपने विद्यालय में ही परीक्षा हो, सुपरवाइज़र अन्य विद्यालय से हो सकता है. ओ.एम.आर. शीट आधारित वस्तुनिष्ठ परीक्षा आयोजित की जा सकती है. ज्ञापन में परीक्षा केंद्र के सम्बंध में महत्वपूर्ण सुझाव दिया गया कि कोरोना की स्थिति को ध्यान में रखकर चिकित्सा, सेनेटाइज़ार, हाथ धोने, मास्क, फ़ेसशील्ड आदि व्यवस्थाएँ सुनिश्चित की जाएं. परीक्षा मूल्यांकन को लेकर न्यास का सुझाव है कि मूल्यांकन के 40% अंक कक्षा 10वीं व 11वीं के परिणाम के औसत के आधार पर हों एवं 30% आंतरिक मूल्यांकन के तथा 30% होने वाली बोर्ड परीक्षा के आधार पर दिए जा सकते हैं.
परिसंवाद में एनआइओएस (NIOS) की अध्यक्ष प्रो. सरोज शर्मा, भारतीय विश्वविद्यालय संघ की महासचिव डॉ. पंकज मित्तल, NCERT की अंजु मेहरोत्रा, नवभारती शिक्षण संस्थान के डॉ. संजय भारती, जे.पी. विद्यालय समूह के एम.पी. शर्मा, चिकित्सक डॉ. स्मिता मिश्रा, मनोवैज्ञानिक डॉ. गीतांजलि कुमार, मध्यप्रदेश शुल्क नियामक आयोग के अध्यक्ष रविंद्र कान्हरे, कुलपति प्रो. आर.के. मित्तल (हरियाणा), डॉ. पवन सिन्हा, डॉ. अतुल गौतम ने अपने महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किए.