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पर्यावरण संरक्षण – हिमाचल में बेटियों की तरह ही लाडले हैं पौधे

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शिमला (विसंकें). पर्यावरण की दृष्टि से समृद्ध हिमाचल उसके संरक्षण के प्रति भी जागरूक है. प्रदेश के पर्यावरण के संरक्षण व उसे समृद्ध बनाने को लेकर प्रदेश वासियों की जागरूकता हर कदम पर दिखाई देती है.

प्रकृति वंदन कार्यक्रम के माध्यम से सारा देश प्रकृति के महत्व की चर्चा कर रहा था, उसका आभार व्यक्त कर रहा था तो वहीं प्रदेश में प्रकृति और मनुष्य के बीच अनोखा सम्बध स्थापित करके पहल की गयी. हमीरपुर जिले के भोरंज में अपनी बेटियों के नाम पर पौधारोपण किया गया. क्षेत्र में भोरंज, चंदरूही, तरक्वाड़ी, भौंखर, धमरोल, जाहू, पट्टा, ताल, और महल इत्यादि सभी आंगनबाड़ियों की महिलाओं ने पौधारोपण अभियान चलाया और पौधों के नाम अपनी बेटियों के नाम पर रखे तथा उनके संरक्षण का संकल्प लिया. इसके बाद सामूहिक रूप से पौधों की पूजा भी गयी.

अभियान का हिस्सा बनी दियालड़ी आंगनबाड़ी की कार्यकर्ता सुनीता रानी बताती हैं कि इस महोत्सव का उदेश्य मात्र पेड़ लगाना नहीं है, बल्कि प्रकृति और मानव के बीच अंतर्संबंध स्थापित करना है. ताकि हम पर्यावरण के साथ एक परिवार का भाव स्थापित कर सकें. हिमाचल प्रदेश सरकार इससे पहले भी इस तरह के अभियान छेड़ चुकी है, हिमाचल प्रदेश को हमेशा से ही हरियाली के लिए जाना जाता है. ऐसे में इस हरियाली को और खूबसूरत बनाने के लिए इस तरह की मुहिम चलाई गई है. चंबा में भी बेटी-बूटा योजना मुहिम रंग ला रही है. अपने गांव, ग्रामीण क्षेत्रों और प्रदेश को सुंदर बनाने का सार्थक प्रयास है. इसके पीछे एक सोच है, कि जैसे हम बेटी को पालते हैं, वैसे ही पौधों की भी देखभाल करनी चाहिए.

मंडी गोहर में प्रधान जबना ने अपनी पंचायत में बेटी के जन्म लेने पर पौधारोपण करने का नया अभियान शुरू किया. जबना स्वच्छता में अपनी थरजुण पंचायत को पहला स्थान दिलाने के लिए देशभर में चर्चित रहीं. इसके बाद जबना ने महत्वपूर्ण कदम उठाया कि गांव में यदि कोई बेटी जन्म लेती है तो उसके नाम से 11 पौधे रोपे जाएंगे. एक बूटा-बेटी योजना की मुहिम में सरकार का सहयोग मिला है. सरकार की ओर से भी सहायता प्रदान की जा रही है. यही कारण है कि प्रदेश की प्राकृतिक सुषमा देशभर में प्रसिद्ध है.

 

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