बेंगलुरु (विसंकें). बेंगलुरु शहर में अगस्त के दूसरे सप्ताह में हुई हिंसा के मामले में बेंगलुरु पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा (CCB) ने मंगलवार, 01 सितंबर को सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के तीन कार्यालयों में छापेमारी की. एसडीपीआई डीजे हल्ली, केजी हल्ली और हलसुरगेट क्षेत्र स्थित कार्यालयों में छापेमारी की गई.
बेंगलुरु हिंसा के मामले में सेंट्रल क्राइम ब्रांच अभी तक 415 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. इस हिंसा में तीन व्यक्तियों की मौत हो गई थी और लगभग 60 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे. कांग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति की शिकायत पर हिंसा के तीन दिन बाद डीजे हल्ली पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. कांग्रेस विधायक के भतीजे द्वारा सोशल मीडिया पर कथित रूप से अपमानजनक पोस्ट करने पर यह हिंसा भड़की थी.
घटना के एक दिन बाद राज्य के गृहमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा था कि हिंसा में शामिल होने को लेकर सरकार पीएफआई और एसडीपीआई जैसे संगठनों पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है. पुलिस को निर्देश दे दिए गए हैं. कोई कितना भी बड़ा आदमी क्यों न हो, हम लोग सुनिश्चित करेंगे कि कड़ी कार्रवाई हो. हिंसा के मामले में गिरफ्तार आरोपियों में से कई एसडीपीआई तथा पीएफआई के कार्यकर्ता हैं.
विहिप ने कर्नाटक सरकार की कार्रवाई का किया था समर्थन
विश्व हिन्दू परिषद (VHP) के मिलिंद परांडे ने शहर में हुए दंगे में शामिल लोगों के खिलाफ कर्नाटक सरकार की कार्रवाई का समर्थन किया था. विहिप ने आरोपियों को कठोर सजा देने की मांग की थी. विहिप का मानना है कि बेंगलुरु हिंसा के सिलसिले में कर्नाटक सरकार ने दंगाइयों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. यह एक अच्छी बात है. दंगे के दौरान एक वर्ग द्वारा आग लगाकर कई वाहनों, मकानों और राष्ट्रीय संपत्तियों को नष्ट कर दिया गया. हमारा मानना है कि नुकसान की भरपाई दंगाइयों से की जानी चाहिए. दिल्ली और देश के कई अन्य स्थानों में हिंसा के दौरान क्षति पहुंचाने वालों के खिलाफ कड़ाई से निपटा जाना चाहिए.