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फिल्म निर्माता संदीप सिंह बनाएंगे ‘टीपू’

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मुंबई. संदीप सिंह ने अपनी नई फिल्म ‘टीपू’ का एलान किया है, जिसमें टीपू सुल्तान के वास्तविक कृत्यों को दिखाया जाने वाला है. संदीप सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक बना चुके हैं. संदीप इन दिनों सावरकर पर भी एक फिल्म ‘स्वातंत्र्यवीर सावरकर’ भी बना रहे हैं, जिसमें रणदीप हुड्डा लीड रोल कर रहे हैं, साथ ही इसका निर्देशन भी कर रहे हैं.

निर्माता संदीप सिंह ने अपनी सहयोगी निर्माता रश्मि शर्मा के साथ मिलकर जिस फिल्म टीपू’ की घोषणा की है, वह उनके मुताबिक मैसूर के इस राजा की धार्मिक कट्टरता को उजागर करने वाले इतिहास का एक टुकड़ा है. संदीप सिंह कहते हैं,  ‘टीपू सुल्तान  कितने कट्टर और जिहादी थे, इस बात को लोग कम ही जानते हैं. हमारे इतिहास की पाठ्यपुस्तकें टीपू की उपलब्धियों से भरी हुई हैं. लेकिन जब फिल्म के लेखक रजत सेठी ने गहन शोध के बाद फिल्म की कहानी लिखी, तो पढ़कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए. टीपू सुल्तान की असलियत जान कर मैं स्तब्ध था. इस फिल्म के माध्यम से आने वाली  पीढ़ी के लिए उसके अंधेरे पक्ष को उजागर करना चाहता हूं.’

अमर उजाला के अनुसार, फिल्म ‘टीपू’ को निर्देशित करने जा रहे पवन शर्मा कहते हैं, ‘एक कट्टर मुस्लिम राजा के रूप में उनकी वास्तविकता जानने के बाद मैं पूरी तरह से  हिल गया और मुझे बहुत निराशा भी हुई. हमारे इतिहास में टीपू सुल्तान को नायक की तरह पेश करने के लिए छेड़छाड़ की गई है, जबकि उसने लोगों को इस्लाम में धर्मांतरण के लिए मजबूर किया और मंदिरों और चर्चों को नष्ट कर दिया. टीपू सुल्तान की इस्लामिक कट्टरता उनके पिता हैदर अली खान की तुलना में बहुत खराब थी. वह उस जमाने का हिटलर था.’

रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म के लेखक रजत सेठी ने कहा कि ‘टीपू सुल्तान एक ऐसी ऐतिहासिक हस्ती है, जिसकी बढ़ा-चढञा कर प्रस्तुत किया गया और उनकी क्रूरता को हमारी पाठ्यपुस्तकों में बड़े करीने से छिपाया गया है. न केवल इतिहास बल्कि लोकप्रिय संस्कृति, फिल्मों, थिएटरों आदि ने भी व्यवस्थित रूप से टीपू के यथार्थवादी और संतुलित चित्रण की उपेक्षा की है. यह फिल्म इसी कहानी में सुधार लाने का एक प्रयास है.’

निर्माता-निर्देशक और अभिनेता संजय खान ने दूरदर्शन के के लिए साल 1990 में ‘द स्वॉर्ड ऑफ टीपू सुल्तान’ का निर्माण किया था. धारावाहिक में टीपू सुल्तान की वीरता का खूब बखान किया गया था. टीपू सुल्तान को इतिहास अब तक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में बताता रहा है, जिसने बहादुरी से अंग्रेजों का मुकाबला किया. इतिहास की पाठ्यपुस्तकें टीपू की उपलब्धियों से भरी हुई हैं.

 

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