लखनऊ. बहुजन समाज पार्टी के कार्यकाल में हुए 1100 करोड़ रुपये के चीनी घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बड़ी कार्रवाई की है. ईडी ने बहुजन समाज पार्टी के पूर्व एमएलसी की संपत्ति अटैच कर दी है. ईडी द्वारा सहारनपुर निवासी मो. इकबाल की 1097 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की गई है. इसमें उनके व उनके परिवार के नाम पर ली गईं सात चीनी मिलें शामिल हैं. संभावना है कि बसपा कार्यकाल में हुए चीनी मिल घोटाले में जांच एजेंसी का शिकंजा जल्द ही अन्य आरोपियों पर भी करसेगा. घोटाले की सीबीआइ जांच भी चल रही है. घोटाले में पूर्व एमएलसी इकबाल के दो बेटे जावेद व वाजिद भी नामजद हैं.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार ईडी ने बोगस कंपनियों के माध्यम से कुशीनगर, बरेली, हरदोई व बाराबंकी में खरीदी गईं सात चीनी मिलों को अटैच किया है. इन मिलों की जमीनों का वर्तमान बाजार मूल्य 1097 करोड़ रुपये से अधिक है. जबकि ये मिलें इकबाल व उनके परिवारीजनों को महज 60.28 करोड़ रुपये में बेची गई थीं. नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड व गिरियाशो कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से इन्हें खरीदा था. नम्रता व गिरियाशो कंपनी ने सेल डीड के लिए एक ही दिन में सात बोगस कंपनियां खोलीं थीं.
चीनी मिल घोटाले में सीबीआई लखनऊ की एंटी करप्शन ब्रांच ने 25 अप्रैल, 2019 को केस दर्ज किया था. सीबीआई ने लखनऊ के गोमतीनगर थाने में वर्ष 2017 में दर्ज एफआईआर में इस घोटाले को अपने केस का आधार बनाया था. इसके बाद ईडी के लखनऊ स्थित जोनल कार्यालय में करोड़ों के घोटाले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया था.
जोनल डायरेक्टर राजेश्वर सिंह के नेतृत्व में पूर्व एमएलसी इकबाल व अन्य आरोपियों की भूमिका की छानबीन की जा रही थी.
पिछले दिनों ने ईडी ने इकबाल के सहारनपुर से लेकर दिल्ली तक के पांच ठिकानों पर छापेमारी की थी और कई अहम दस्तावेज कब्जे में लिए थे. ईडी की जांच में अहम जानकारियां सामने आई थीं. ईडी ने बैंकों, जिला प्रशासन, राजस्व व इन्कम टैक्स सहित अन्य विभागों से साक्ष्य जुटाए थे. चीनी निगम की 21 चीनी मिलों को वर्ष 2010-11 में बेचा गया था. नम्रता मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड ने देवरिया, बरेली, कुशीनगर, बाराबंकी व हरदोई इकाई की मिलें खरीदी थीं. नियमों को दरकिनार कर दोनों कंपनियों को नीलामी प्रक्रिया के लिए योग्य घोषित कर दिया गया था.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अप्रैल 2018 में चीनी मिल घोटाले की सीबीआइ जांच कराने की सिफारिश की थी. राज्य सरकार ने सीरियस फ्रॉड इंवेस्टिगेशन आर्गनाईजेशन (एसएफआइओ) से भी मामले की जांच कराई थी. जिसके बाद राज्य चीनी निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक की ओर से गोमतीनगर थाने में धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया गया था.
सीबीआइ ने फर्जी दस्तावेजों के जरिये देवरिया, बरेली, कुशीनगर, हरदोई व बाराबंकी स्थित सात चीनी मिलें खरीदने के मामले में दिल्ली निवासी राकेश शर्मा, उनकी पत्नी सुमन शर्मा, गाजियाबाद निवासी धर्मेंद्र गुप्ता, सहारनपुर निवासी सौरभ मुकुंद, जावेद, वाजिद अली व नसीम अहमद के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया था.