सूर्यप्रकाश सेमवाल
सारी दुनिया वैश्विक इस्लामी आतंक से त्रस्त है और देर सवेर मानवाधिकार और सहिष्णुता के प्रचारक देश भी इसे स्वीकार कर रहे हैं. कट्टरपंथी असामाजिक तत्वों ने सारी दुनिया की शान्ति और अमन चैन पर ग्रहण लगा रखा है. फ्रांस में पिछले कुछ वर्षों से मुस्लिम अतिवादियों की अराजकता, हिंसक उन्माद और मजहबी कट्टरता ने देश की सुरक्षा व्यवस्था के साथ कानून व्यवस्था पर भी प्रश्न खड़े कर दिए हैं. हाईस्कूल के इतिहास शिक्षक सैमुएल पैंटी ने स्वतंत्र अभिव्यक्ति के प्रसंग में कक्षा में पैगम्बर मोहम्मद का कार्टून क्या दिखाया कि कक्षा से निकलकर घर पहुंचने से पहले ही 18 साल के उन्मादी ने ईश निंदा के नाम पर शिक्षक का सर कलम कर दिया. शार्ली ऐब्दो पत्रिका के दफ्तर के बाहर ऐसे ही निर्दोषों का खून बहाया गया. फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुल मैक्रां और वहां की सरकार पर लगातार बढ़ रही इन आतंकी वारदातों को रोकने का दबाव था. वर्ष 2019 में आतंकी और कट्टरता की गतिविधि में शामिल 3,881स्थानों पर छापेमारी की गई, जिनमें से 126 स्थान और परिसर आतंक बढ़ाने वाली घटनाओं में शामिल मिले. इसी प्रकार पिछले वर्ष दिसम्बर माह में ही 476 स्थानों पर छापेमारी की गई, जिसमें 36 की भूमिका प्रमाणित हुई और उन्हें खतरनाक मानकर बन्द किया गया.
पानी सर से ऊपर निकलते देख राष्ट्रपति मैक्रां ने पूरी दुनिया का आह्वान किया कि अब मजहबी कट्टरता और उन्माद के नासूर को कम से कम फ्रांस में फन नहीं फैलाने देंगे. सरकार ने एक प्रस्ताव बनाकर मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले 8 इस्लामी संगठनों को इस पर हस्ताक्षर करने को कहा. प्रस्ताव में धार्मिक कट्टरता और आतंक के खिलाफ एक होने का आह्वान किया गया था. तीन कट्टर संगठनों ने इसे इस्लाम को टारगेट करने वाला बताया.
आतंक के समर्थन में कौमी एकता का यह खेल सरकार की समझ में आ गया. मजहबी उन्माद के खात्मे के इसी संकल्प के साथ मैक्रां और उनकी रिपब्लिक पार्टी ने देश की संसद के निचले सदन में इस्लामिक आतंक विरोधी कानून प्रस्तुत कर दिया. राष्ट्रपति और फ्रांस सरकार ने पूरे एक वर्ष फ्रांस के हर क्षेत्र में अधिक से अधिक जनता तक पहुंचकर इस कानून की जरूरत समझाई. इसका परिणाम ये हुआ कि कानून के पक्ष में 347 और विपक्ष में 151 वोट पड़े, जो फ्रांस सरकार की इच्छाशक्ति और जनता की भावना को दर्शाता है. निचले सदन में भारी मतों से पारित यह कानून उच्च सदन में जाएगा, जहां रिपब्लिकन के पास बहुमत नहीं है. लेकिन ये उम्मीद की जा रही है कि फ्रांस के जनप्रतिनिधि अपने देश की शान्ति, समृद्धि और स्थिरता के लिए इस कानून को जरूर पारित करेंगे. इस्लामिक आतंक के खात्मे के लिए फ्रांस सरकार द्वारा लाए गए इस कानून में पुलिस को मस्जिदों और मदरसों को कभी भी बन्द करने का अधिकार मिलेगा. मुसलमान नागरिकों के एक से अधिक विवाह अथवा जबरन विवाह को अपराध घोषित करने का अधिकार भी मिलेगा. मस्जिद केवल इबादत के लिए होगी, शिक्षा देने का अधिकार नहीं होगा, विदेशी फंडिंग पर सरकार की निगरानी रहेगी. कुल मिलाकर फ्रांस सरकार ने इस कानून के विषय में स्पष्ट किया है कि एक सेकुलर देश में एक मजहब विशेष की कट्टरता और मजहबी उन्माद को मनमानी नहीं करने दी जाएगी.
दुनिया की नजरें अब फ्रांस के उच्च सदन पर हैं. जहां इस विधेयक के पारित हो जाने के बाद प्रभावी कानून बनने की पूरी संभावना है. यदि ऐसा होता है तो दुनिया के सभी देश अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और समरसता के लिए ऐसे सर्वमान्य और सर्वस्वीकार्य कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे. भारत में समान नागरिक संहिता कानून पर वर्षों से चल रही चर्चा को भी इससे बल मिल सकता है. लक्ष्य ऐसे सब कानूनों का एक ही है शान्ति, समृद्धि और खुशहाली तथा आतंक का समूल नाश.