नई दिल्ली. विश्व हिन्दू परिषद व इस्कॉन के भक्तों ने बांग्लादेश में हिन्दुओं, दुर्गा पूजा पंडाल व इस्कॉन मंदिर पर हुए हमलों के विरुद्ध शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किया. बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों के विरुद्ध हुए हिंसा के नंगे नाच से आहत हिन्दुओं के विरोध प्रदर्शन में इस्कॉन के भक्तों व विश्व हिन्दू परिषद, लाजपत जिला के कार्यकर्ताओं ने भाग लिया.
विहिप प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा कि पाकिस्तान व बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहे. विश्व भर का हिन्दू समाज आक्रोशित है. बांग्लादेश में गत एक सप्ताह में ही अनेक हिन्दुओं की हत्या कर दी गयी. उनके घरों, संपत्तियों, महिलाओं, बच्चों व आस्था स्थलों को निशाना बनाया गया. अब जिहादियों के आतंक से इस्कॉन जैसा अन्तरराष्ट्रीय संगठन व हिन्दू आस्था का केंद्र भी अछूता नहीं रहा. मंदिरों में घुसकर की गयी तोड़-फोड़, भगवान के विग्रह को खंडित करना व इस्कॉन के भक्तों को नृशंस तरीके से मारने के वीभत्स दृश्य भी दुनिया ने देखे. किंतु, दुर्भाग्य से न बांग्लादेश सरकार और ना ही अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन व संयुक्त राष्ट्र संघ ने एक शब्द बोला.
विश्व हिन्दू परिषद की मांग है कि हमलावर जिहादियों को तुरंत गिरफ़्तार कर कठोरतम सज़ा दी जाए, पीड़ितों को सुरक्षा, नुक्सान की भरपाई तथा मृतकों के परिजनों को सांत्वना स्वरूप मुआवज़ा दिया जाए. साथ ही शेष बचे अल्पसंख्यक हिन्दुओं की सुरक्षा के लिए भी पुख्ता कदम उठाए जाएँ.
उन्होंने कहा कि इस मामले को भारत सरकार को भी उच्च स्तर पर गंभीरता से कदम उठाकर पीड़ितों को न्याय व हिन्दुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी यह समझना होगा कि अखिर हिन्दुओं के भी कुछ मानवाधिकार होते हैं. जब पीड़ित, हिन्दू व आक्रमणकारी जिहादी होता है तो, देश विदेश की सेक्युलर गैंग किस बिल में घुस जाती है? उन्होंने आश्वासन दिया कि विश्व हिन्दू परिषद सहित संपूर्ण हिन्दू समाज पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा है और उनकी हर संभव मदद करेगा.
दक्षिणी दिल्ली के ईस्ट ऑफ़ कैलाश स्थित इस्कॉन मंदिर के बाहर उपस्थित प्रदर्शनकारियों के हाथों में ‘मंदिर बचाओ-हिन्दू बचाओ’, ‘इस्लामिक कट्टरवाद से हिन्दुओं को बचाओ’ नारे लिखे प्लेकार्ड थे. जिनमें बच्चे, महिलाएं व बुज़ुर्ग भी शामिल थे. प्रदर्शनकारियों में विहिप कार्यकर्ता, इस्कॉन मंदिर के भक्त हरे कृष्ण दास, गौर हरी दास सहित अन्य सामाजिक धार्मिक व सांस्कृतिक संगठनों के कार्यकर्ता शामिल थे.