सुखी परिवार के लक्षणों पर प्रख्यात चिंतक, विचारक, अध्यात्मवेत्ता और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविन्ददेव गिरी जी महाराज ने आज माहेश्वरी समाज जयपुर एवं विश्व हिन्दू परिषद् के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित समारोह में कहा कि आधुनिक तकनीक ने सभी संसाधनों को हमारे निजी कक्ष में लाकर रख दिया, लेकिन हम अपने परिवारजनों से उतने ही दूर होते चले गए.
उन्होंने सुखी पारिवारिक जीवन के लिए सबसे महत्वपूर्ण दो घटकों पर बल देते हुए कहा कि पवित्रता और प्रसन्नता जिस परिवार में होगी, वहां कभी अशांति नहीं होगी. आधुनिक तकनीक के युग में हम भौतिकता से इतने अधिक प्रभावित हो गए हैं कि वस्तुओं से प्रेम और मनुष्य का उपयोग करने लगे हैं. जबकि होना चाहिए इससे बिल्कुल उलट. भारतीय संस्कृति, ज्ञान और दर्शन के अत्यंत महत्वपूर्ण लक्षणों को केंद्र में रखकर उन्होंने बहुत से महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तार से चर्चा की.
पूज्य स्वामी जी ने सुखी परिवार के लिये छह सरल सूत्र बताए…
– ¨शिशुओं को स्नेह¨ बालकों को संस्कार¨ किशोरों का संरक्षण¨ युवाओं को स्वतंत्रता¨ प्रौढ़जनों का सम्मान¨ वृद्ध जनों की सेवा
– सुख बांटने से सुख बढ़ता है और दुःख बांटने से दुख घटता है.
– बच्चों को चाहे महंगे-गिफ्ट दें ना दें, पर उन्हें अपना समय अवश्य दीजिए. उन्होंने सभी पीढ़ियों में आपसी संवाद पर सर्वाधिक बल दिया. आज एक कमरे, एक घर में रहने वाले एक दूसरे की और देखते तक नहीं.
– घर से चाहे किसी कारणवश दूर रहना पड़े, पर घर-परिवार से हृदय से जुड़े रहें.
– स्थान की दूरी हो सकती है, पर हृदय की दूरी ना हो.
– आज परिवार टूट रहे हैं, तलाक बढ़ रहे हैं, ओल्ड ऐज होम बढ़ रहे हैं, बड़ी दुःखद स्थिति है.
– घर में सोफासेट है, डिनर सेट है, टी.वी सेट है. पर व्यक्ति स्वयं अपसेट है. इसके लिये हमें अपने ग्रन्थों की ओर, सन्तों की और चलना होगा.
– आदर्श राज्य राम राज्य जैसा होना चाहिए और आदर्श परिवार में गोकुल जैसा वातावरण होना चाहिए. जहां सुख-दुख में सब शामिल होते हैं.
– विदेशों में बच्चे अपने माँ -बाप से मिलने आते ही नहीं.
– पुराने लोगों में आत्मीयता थी. घर की बेटी सारे गाँव की बेटी और जँवाई सारे गाँव का जँवाई होता था.
– हमारे यहाँ परिवार की अवधारणा बड़ी दृढ़ है, तभी यहाँ गंगा को गंगा मैया, गौ को गौमाता कहा जाता है.
– आज परिवारों में दुख का कारण संकीर्णता है, मैं और अहंकार का विस्तार है. मैं की बजाय हम की भावना को महत्व देना होगा.
– पहले हम दूसरों को समझने का प्रयास करें, ना कि ये सोचें कि दूसरा हमें समझे.
– हम किसी से अपेक्षा रखने से पहले ये सोचें कि कोई हमसे भी अपेक्षा रखता है, पहले उसे पूरा करें.
– जीविका कमाने की विद्या सीखने से पहले जीवन जीने की विद्या सीखनी होगी.
माहेश्वरी पब्लिक स्कूल जवाहर नगर में आयोजित कार्यक्रम में माहेश्वरी समाज के प्रमुख पदाधिकारी एवं विश्व हिन्दू परिषद् केंद्रीय आमंत्रित सदस्य दामोदरलाल जी मोदी, केंद्रीय ट्रस्टी अनिल गोठवाल, क्षेत्र मंत्री सुरेश उपाध्यक्ष जी सहित गणमान्यजन व मातृशक्ति उपस्थित रही.