हाथरस (उत्तरप्रदेश) के चंदपा थाना क्षेत्र के बूलगढ़ी गांव में लगभग डेढ़ माह पूर्व 14 सितम्बर को एक दलित युवती से कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म का प्रकरण सामने आया था, इसके उपरांत 29 सितंबर को पीड़िता की दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी. गांव के ही 4 युवकों पर आरोप लगा था. मामले में भीम आर्मी सहित अन्य दलों ने सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने की बड़ी योजना बनाई थी. मामला इलाहबाद उच्च न्यायालय के संज्ञान में आया तो पीड़िता के परिवार और सभी ज़िम्मेदार अधिकारियों से अदालत ने पूरे मामले पर चर्चा की और राज्य सरकार व प्रशासन को पीड़ित परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आदेश दिया.
पीड़िता के परिवार के आग्रह और कुछ संस्थाओं व संगठनों की पहल पर हाथरस मामला सर्वोच्च न्यायालय में पहुंचा. चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने मामले से जुड़ी अन्य हस्तक्षेप याचिकाओं पर विगत 15 अक्तूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इन सभी याचिकाओं में दलील दी गयी थी कि उत्तर प्रदेश में निष्पक्ष सुनवाई संभव नहीं है. सीबीआई जांच शीर्ष अदालत की निगरानी में हो और पीड़िता के परिवार की सुरक्षा की व्यवस्था पुख्ता और सुनिश्चित हो. उसी सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी ओर से जवाब दाखिल करते हुए सर्वोच्च न्यायालय को बताया था कि पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तीन-स्तरीय सुरक्षा प्रदान की गई है.
शीर्ष अदालत ने 16 अक्तूबर को सब पक्षों को सुनने के बाद मामले की अगली सुनवाई 27 अक्तूबर के लिए तय की थी. न्यायालय के निर्णय का सभी को से इंतजार था. 27 अक्तूबर को हाथरस कांड मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया, कहा कि प्रकरण की जांच कर रही सीबीआई इलाहाबाद उच्च न्यायालय की निगरानी में अपनी सारी जांच करेगी. उत्तरप्रदेश से इस केस को ट्रांसफर करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसका फैसला बाद में होगा.
सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि हाथरस के पीड़ित परिवार की सुरक्षा के साथ ही गवाहों की सुरक्षा से लेकर अन्य तमाम पहलुओं को इलाहाबाद उच्च न्यायालय देखेगा और मामले की जांच करने वाली सीबीआई अपनी स्टेटस रिपोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय को देगी. शीर्ष अदालत ने अपने निर्णय में स्पष्ट कर दिया कि पीड़ित और गवाहों की सुरक्षा तथा केस की मेरिट से जुड़े हर पहलू को न्यायालय देखेगा. इस मामले को दिल्ली स्थानांतरित करने पर शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि अभी सीबीआई जांच कर रही है, जांच पूरी होने के बाद इस पर विचार होगा.
हाथरस प्रकरण दुर्भाग्यजनक था, किन्तु इसके बहाने जिस प्रकार की राजनीति की गयी, सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और अशांति फैलाने के लिए राजनीतिक पार्टियों की योजना और पीएफआई जैसे देशविरोधी संगठनों की अंतरराष्ट्रीय फंडिंग और भीम सेना की साजिश निंदनीय है. और इस साजिश में शामिल लोगों के खिलाफ भी जांच होनी चाहिए व उन्हें सख्त सजा मिलनी चाहिए.