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फसल के बाजार से अधिक दाम, गांव के युवाओं को मिला काम

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देश की राजधानी में कृषि सुधार कानूनों को लेकर किसान आंदोलन कर रहे हैं. दूसरी ओर अनेक स्थानों से ऐसी कहानियां सामने आ रही हैं, जहां वर्तमान कानूनों की तर्ज पर पहले से ही काम चल रहा है.

कपूरथला से सुभाना रोड पर 15 किलोमीटर आगे जाने के बाद लाल मिट्टी वाले क्षेत्र में जेल के पास लगे आईटीसी के प्लांट के कारण आसपास के गावों के किसानों का जीवन बदल रहा है. प्लांट को शुरू हुए अभी तीन साल हुए हैं. पर, कम समय में ही तकनीकी एक्सपर्ट्स की सहायता से आईटीसी किसानों को जिंदगी की नई राह दिखा रही है. कंपनी फसल तैयार होने पर बिना किसी बिचौलिए के ज्यादा दाम पर फसल खरीद रही है. साथ ही आस-पास के गावों के 1200 से ज्यादा युवाओं को रोजगार देकर बेरोजगारी और नशे के दलदल से बाहर निकाला है.

कपूरथला जेल से आधा किलोमीटर पहले स्थित आईटीसी के प्लांट में आटा व चिप्स और बिस्कुट बनता है. वर्ष 2014 में इस प्रोजेक्ट को तत्कालीन सरकार ने 62 एकड़ में मंजूरी दी थी. वर्ष 2017 में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इसका उद्घाटन किया था. इसके बाद से क्षेत्र की तस्वीर बदलने लगी है. लाल मिट्टी होने के कारण खेतों में ज्यादा पैदावार नहीं होती थी. अब हालात बदल रहे हैं. किसानों की मेहनत व एक्सपर्ट्स की मदद से काफी खेतों की उपजाऊ शक्ति वापस लौट रही है.

प्लांट शुरू होने के बाद नशे के लिए प्रसिद्ध बूटा गांव की तस्वीर एकदम बदल गई है. गांव के पूर्व सरपंच हरजिंदर सिंह बताते हैं – प्लांट शुरू होने के बाद उनके गांव सहित आसपास के गावों के सैकड़ों युवाओं को रोजगार मिला. खेती में कंपनी के एक्सपर्टस की टीम ने मदद की. बीज से लेकर खाद तक व कब फसल लगानी है. फसल में कितना पानी लगाना है और कब-कब उसमें कौन-कौन सी खाद डालनी, हर प्रकार की मदद एक्सपर्ट्स ने दी.

जब हमारी फसल हुई और कंपनी ने बाजार के भाव से 10 रुपये क्विंटल ज्यादा दाम देकर हमारी फसल खरीदी तो हमारी खुशी कई गुणा बढ़ गई. उसके बाद धीरे-धीरे और भी किसान हमारे साथ जुड़ने लगे. हरजिंदर बताते हैं कि हम लोग पहले पारंपरिक तरीके से गेंहू पैदा करते थे. मिट्टी ज्यादा अच्छी न होने के कारण जो पैदावार हो जाती थी, उसी में गुजारा चलाते थे. अब ऐसा नहीं है.

आर्थिक स्थिति हुई मजबूत

दूसरे साल से एक्सपर्ट की मदद से पैदावार भी बढ़ने लगी और खरीद भी समय पर होने लगी. इससे किसानों की आर्थिक स्थित भी मजबूत हो रही है. गांव के जो युवा रोजगार करना चाहते थे, उन्हें रोजगार मिल गया. खेती के साथ युवाओं की सैलरी भी घर आने लगी. इससे नशे के बजाय बाकी के युवा भी अब रोजगार की तरफ कदम बढ़ाने लगे हैं.

फोकलपुर गांव के किसान मंजीत सिंह खेतों में यूरिया डाल रहे थे, जब हमने उनसे संपर्क साधा. करीब तीन डिग्री तापमान में नंगे पैर बनियान व कच्छे में खेत में काम कर रहे मनजीत का एक बेटा आस्ट्रेलिया व एक कनाडा मे है. मनजीत बताते हैं कि अभी तक उन्होंने आईटीसी को अपनी फसल नहीं बेची है, लेकिन जब से उन्होंने दूसरे किसानों से सुना है तो उन्होंने भी इस बार एक्सपर्ट की राय के अनुसार फसल की बिजाई की है. इस फसल को वह भी प्लांट को देंगे.

ठीकरीवाल, कांजली व खोजेवाल सहित आसपास के करीब 20 गावों के सैकड़ों किसान अब गुणवत्ता वाली फसल का उत्पादन करके अपनी जिंदगी को नई दिशा देने में जुटे हैं. खोजेवाल के संतोख सिंह बताते हैं कि उनके पास चार एकड़ खेत है, लेकिन वह 10 एकड़ में खेती करते हैं. बाकी के खेत उन्होंने ठेके पर लिए हैं. वह किसान आंदोलन में भाग लेने नहीं गए हैं, बल्कि खेतों में काम कर रहे हैं. फसल अच्छी होगी तो दाम भी कंपनी अच्छे ही देगी.

पहले कई दिन लगते थे फसल बेचने में

किसान बताते हैं कि पहले कपूरथला व आस-पास की मंडियों में फसल लेकर बेचने जाना पड़ता था. उस चक्कर में कई दिन लग जाते थे और भाड़ा अलग लगता था. अब ऐसा नहीं है. फसल खेतों में तैयार होती है तो कंपनी के एक्सपर्ट बता देते हैं कि कब और कैसे उसकी कटाई करनी है. हम लोग सलाह अनुसार कटाई करके फसल उन्हें दे देते हैं. कई बार कंपनी को खुद फसल पहुंचा देते हैं तो कभी एक्सपर्ट हमारी फसल खुद उठवा लेते हैं. इससे काफी आराम हो गया है.

किसान बताते हैं कि जब कोरोना वायरस फैला था तो कंपनी की तरफ से गांव में सेनेटाइजर वितरित करवाए गए थे. साथ ही, स्कूलों में बच्चों को कोरोना वायरस को लेकर जागरूक किया गया था. कंपनी पौधरोपण करवाने से लेकर हर प्रकार के कामों में मदद करती है. हमें जहां भी जरूरत होती है, हम लोग कंपनी के प्रतिनिधियों से बात करते हैं और वह हमारी समस्याओं का समाधान करवाते हैं.

इनपुट – दैनिक जागरण

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