गाजियाबाद. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्थापना दिवस विजयादशमी के अवसर पर इन्दिरापुरम, गाजियाबाद में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सदस्य भय्याजी जोशी ने शस्त्र पूजन किया.
भय्याजी जोशी ने कहा कि देश भर में 9 दिनों से दुर्गा की आराधना हो रही है. जो व्रत पूजा हम करते हैं, वह शक्ति की आराधना है. भगवान राम ने लंका पर राज करने या मां सीता को छुड़ाने नहीं गए थे, बल्कि रावण रूपी राक्षसी, असुरी शक्ति का नाश करने गए थे. विजय के पश्चात विभीषण को लंका का राजा बनाया, स्वयं राजा नहीं बने. जबकि शक्ति के बल पर बन सकते थे. हिन्दू समाज शक्ति की आराधना या संग्रह किसी को डराने या पराजित करने के लिए नहीं, बल्कि सज्जन शक्ति की रक्षा करने के लिए करता है.
उन्होंने कहा कि गर्व की बात है कि अब विश्व भारत की बात सुनता है. यह विश्व भर में कार्य कर रहे डॉक्टरों, इंजीनियर्स और विभिन्न पदों पर कार्यरत प्रबुद्ध भारतीयों के कारण है और उनका उस देश के लिए योगदान है. विश्व भर में 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में मनाते हैं और भारत के आयुर्वेद को भी मान्यता मिल रही है. इस्कॉन के माध्यम से विश्व भर में भगवान श्री कृष्ण की उपासना लोग कर रहे हैं. जी-20 में विश्व भर से लोग भारत आये और विभिन्न देशों के लोगों ने भारत के विभिन्न क्षेत्रों का अनुभव किया. विज्ञान के क्षेत्र में भारत आज पूरे विश्व के समकक्ष है. मंगलयान, चंद्रयान की सफलता के बाद विश्व के वैज्ञानिक भी भारत के वैज्ञानिकों की सराहना कर रहे हैं. देश के नेतृत्व ने भी विश्व पटल पर भारत की बात पूर्ण शक्ति से रखी है और भारत का मान बढ़ाया है.
भगवान श्रीराम का भव्य-दिव्य मंदिर अल्प समय में बनने वाला है और इससे राष्ट्र का मान-सम्मान बढ़ेगा. सभी का मानना है कि राम मंदिर राष्ट्र के पुनरुत्थान का प्रारंभ है, इसलिए यह राष्ट्र मंदिर है. राम राज्य चाहिए तो राम के प्रति भक्ति चाहिए.
उन्होंने कहा कि आज के असुर कौन हैं, राक्षस कौन हैं, यह समझ कर चलना पड़ेगा. पहचानना पड़ेगा और उनका सामना कैसे करना है, यह भी विचार करना पड़ेगा. अभी-अभी युद्ध का वातावरण बना है, हिंसा का वातावरण है. परंतु भारत अहिंसा में विश्वास रखता है और सज्जन शक्ति का संरक्षण आवश्यक मानता है. यूक्रेन में फंसे भारतीयों को वहां से भारत लाने का कार्य सेना और शासन ने किया. हम “वसुधैव कुटुंबकम्”, की बात करते हैं.
भोगवाद पशुता का गुणधर्म है, मनुष्य संयमशील भोग करता है. हम भोगवाद को सीमित करते जाएं. इस भोगवाद से सब मुक्त हों, यह तत्व ज्ञान हमारे मनीषियों ने रखा. भारत का समाज अपने मूल्यों पर चलता आया समाज है. सबको साथ लेकर चलने का भाव है. हमें मूल्यों के प्रति जागृत होना है. मूल्यों में अगर क्षरण आता है तो समाज समाज नहीं रहेगा. मूल्यों के प्रति समाज जागृत रहे तो हमारा चिन्तन, हमारा पुरुषार्थ विश्व गुरु के रूप में बड़ा होगा.
भारत विश्वगुरु बनेगा, यह तय है. परंतु हम सभी को अपनी सहभागिता तय करनी होगी. भविष्य के भारत का चिंतन करना पड़ेगा, भगीरथ बन गंगा रूपी भारत माता को पुनः विश्व गुरु बनाने का संकल्प लेना है. भविष्य के भारत का निर्माण करना हमारी जिम्मेवारी है.
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