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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा – योगी आदित्यनाथ

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक जीवन दृष्टि है, अनुभव है – दत्तात्रेय होसबाले

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को समझने के लिए उसके सेवा भाव को समझना होगा. संघ एक ऐसा संगठन है, जो बिना किसी सरकारी सहयोग के सेवा कार्य करता है. मुख्यमंत्री योगी आज लखनऊ में गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर द्वारा लिखी पुस्तक ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र’ के लोकार्पण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र’ मात्र एक पुस्तक नहीं है. यह एक दृष्टि है. संघ का सेवा कार्य लोगों को बरबस ही अपनी ओर खींचता है. बूंद और शक्कर के मिलन की तरह ही संघ अपनी उपस्थिति का एहसास कराता रहा है. यही इस पुस्तक में भी दिया है. यदि संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा.

उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में भी संघ ने अपना एहसास कराया. लोग चिंतित थे कि कैसे लॉकडाउन में परिस्थितियों को संभाला जाए. जहां दुनिया का हर व्यक्ति स्वतंत्रता का सदुपयोग व दुरुपयोग दोनों करना जानता है. ऐसे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पहला संगठन था, जो लोगों को घर-घर जाकर सहायता पहुंचाने के लिए आगे आया था. राज्य सरकारों ने उपेक्षा की होगी, लेकिन संघ ने किसी की उपेक्षा नहीं की. सेवा की यह पराकाष्ठा रही कि लोगों को चप्पल पहनाने से लेकर घर पहुंचाने तक का काम किया था. किसी की जाति, किसी का धर्म नहीं पूछा. इसी का नतीजा रहा कि मजदूरों को उनके घर तक पहुंचाने में सरकारों को सहायता मिल पायी. यदि संघ को समझना है तो उसके सेवा भाव को समझना होगा. देश में कहीं भी आपदा आती है तो स्वयंसेवक स्व स्फूर्त रूप से वहां के सेवा भाव से जुड़ता है. यही तो राष्ट्रवाद है. आपदा के समय खुद की परवाह नहीं करते हुए गरीबों के जीवन में किस तरह संघ ने आनंद भरा, यह पूरी दुनिया ने देखा है.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बारे में मिथ्या प्रचार ज्यादा हो गया था. इसके बारे में बिना जाने बोलने वालों की संख्या ज्यादा हो गयी थी. संघ प्रारंभ हुआ एक संगठन के रूप में, लेकिन हेडगेवार जी ने पहले ही कहा कि यह कोई नया काम नहीं है. यहां मैं कर रहा हूं, ऐसा कुछ नहीं होता. नाम भी इसे बाद में दिया गया. संघ एक जीवन दृष्टि है, यह एक अनुभव है.

उन्होंने कहा कि यह समाज में एक संगठन नहीं है. यह समाज का संगठन है. यह सभी को संगठित करता है. हम समाज में रहते हैं और सभी को संगठित करते रहते हैं. संघ को समझने के लिए ऐसे कई सूत्र हैं. ऐसा ही ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ-स्वर्णिम भारत के दिशा सूत्र’ एक किताब है. किसी एक व्यक्ति का विचार या मत संघ नहीं होता. यहां समूह का मत होता है.

जिस तरह से किसी एक बिंदु को देखकर पूरे हिन्दू समाज के बारे में कह देना उपयुक्त नहीं होगा. वैसे ही किसी जगह को देखकर पूरे भारत के बारे में नहीं कह सकते. हिन्दुस्तान की पहचान हिन्दू है. इसकी पहचान हिन्दुत्व है. हिन्दुत्व का अर्थ हिन्दु धर्म नहीं है. इसको संकुचित रूप से नहीं देखना चाहिए. संकुचन के कारण ही कुछ लोगों ने संघ के बारे में संकुचित विचार रख दिया.

पूर्व में वरिष्ठ स्तम्भकार नरेन्द्र भदौरिया और गोविंद वल्लभ पंत संस्थान के निदेशक बद्री नारायण ने पुस्तक के बारे में विस्तार से बताया. पुस्तक के लेखक सुनील आंबेकर ने कहा कि वह विश्वविद्यालयों में जाते थे तो बहुत सारी जिज्ञासाओं के बारे में पता चलता था. हमें यह भी पता चला कि एक ऐसी पीढ़ी भी है, जिन्हें पूरी दुनिया के बारे में जानकारी मिलती है और उनके तुलनात्मक अध्ययन करना चाहते हैं. ऐसे लोग भी आने लगे कि भारत के बारे में जो भी उन्होंने जाना कि जो भी भारत के बारे में जाना वह संपूर्ण नहीं है. ऐसे हमारे भीतर यह भाव जागा कि हम इसके लिए क्या कर सकते हैं. विदेशों में रह रहे भारतीयों में यह विचार देखा गया कि हम भारत के लिए क्या कर सकते हैं.

इसी विचार के आने के बाद हमने इस पुस्तक के बारे में विचार किया और संगठन के प्रति उठ रहे जिज्ञासाओं के समाधान करने का हमने किताब के माध्यम से प्रयास किया. इस किताब में संघ को समाहित नहीं किया जा सकता, लेकिन मैं जो भी समझ पाया, उसे समझाने का प्रयास किया.

गौरतलब है कि सुनील आंबेकर ने पूर्व में ‘द आरएसएस-रोडमैप्स फॉर द 21 सेंचुरी’ नामक पुस्तक अंग्रेजी में लिखी थी, जिसका वर्ष 2019 में सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने लोकार्पण किया था. शुक्रवार को जिस पुस्तक का लोकार्पण हुआ, वह अंग्रेजी पुस्तक का ही हिन्दी रुपान्तरण है. इसका हिंदी में अनुवाद डॉ. जितेंद्र वीर कालरा ने किया है.

लोकार्पण कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ कृष्ण गोपाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचारक अनिल जी, अवध प्रांत के प्रांत प्रचारक कौशल जी, संयुक्त क्षेत्र प्रचार प्रमुख कृपाशंकर, सहित अन्य उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन प्रभात प्रकाशन के प्रमुख प्रभात कुमार ने किया और धन्यवाद ज्ञापन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्र प्रचार प्रमुख नरेंद्र सिंह ने किया.

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