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भारतीय ज्ञान परंपरा में वैदिक शिक्षा पद्धति, परंपरा व जीवन मूल्यों का महत्वपूर्ण योगदान – दत्तात्रेय होसबाले जी

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नई दिल्ली, 4 फरवरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में वैदिक शिक्षा पद्धति, परंपराओं, मान्यताओं और जीवन मूल्यों का महत्वपूर्ण योगदान है। लॉर्ड मैकाले ने भारत के ऊपर जो शिक्षा पद्धति थोपी थी, उससे भारतीय परंपराओं और जीवनमूल्यों का बहुत नुकसान हुआ। मगर भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक शिक्षा पद्धति पर काम करने वाले योद्धाओं ने भारत की गौरवशाली शिक्षा व्यवस्था को भारत में पुनः स्थापित करने में अहम योगदान दिया।

विवेकानंद फाउंडेशन संस्थान में जाने माने शिक्षाविद और चिंतक राजीव मल्होत्रा और विजया विश्वनाथन की पुस्तक ‘हू इज़ रेज़िंग योअर चिल्ड्रन’ का लोकार्पण करते हुए सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने कहा कि भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित यह पुस्तक भारतीय शिक्षा व्यवस्था के लिए बेहद गुणकारी साबित होगी। यह किताब बहुत शोध और पारंपरिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि विगत 70 वर्षों से भारतीय शिक्षा व्यवस्था का जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई नई शिक्षा नीति द्वारा की जाएगी।

उन्होंने कहा कि अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठन और संस्थाएं भारतीय शिक्षा व्यवस्था और समाज को नुकसान पहुंचान का षड्यंत्र कर रही हैं। मगर राजीव मल्होत्रा और विजया विश्वनाथन जैसे लोग उनका विरोध करके देश के सामने सच ला रहे हैं। इस दिशा में राजीव मल्होत्रा और विजया विश्वनाथन जैसे मनीषियों की लिखी पुस्तक भारतीय छात्रों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी। भारतीय संस्कृति की पहचान, वैदिक शिक्षा का उच्चतम ज्ञान ही भारत को एक समृद्ध राष्ट्र, समृद्ध समाज और समृद्ध परिवार बनाने की दिशा में आगे लेकर जाएगा। निश्चित रुप से इस पुस्तक का ज्ञान भारतीय छात्रों के लिए बहुत उपयोगी साबित होगा।

इस अवसर पर पुस्तक के लेखकों ने श्रोताओं के प्रश्नों के उत्तर दिए और इस दिशा में लगातार कार्य करते रहने का भरोसा दिया। कार्यक्रम के अंत में विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन के अध्यक्ष अरविंद गुप्ता जी ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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