नई दिल्ली. पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों (हिन्दू, सिक्ख और ईसाई) पर धार्मिक अत्याचार की घटनाएं निरंतर बढ़ती जा रही हैं. अब नया मामला पाकिस्तान के हिंसाग्रस्त क्षेत्र बलूचिस्तान से सामने आया है. जहां, कट्टरपंथियों ने एक हिन्दू महिला शिक्षक का अपहरण कर उसे जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाया. कट्टरपंथियों ने महिला का नाम आयशा रखा है.
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिन्दुओं, सिक्खों और ईसाइयों के लिए काम करने वाली संस्था वायस ऑफ मॉइनारिटी ने घटना पर चिंता जताई. दुनिया भर में इस्लाम के पैरोकार बनने के प्रयास में जुटे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भी जबरन धर्मपरिवर्तन के मुद्दे पर चुप्पी साध लेते हैं. पुलिस और स्थानीय प्रशासन भी मामले में लीपापोती करने में जुटा हुआ है.
पाकिस्तान में कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान हिन्दू और ईसाई लड़कियों के धर्मांतरण की घटनाएं अधिक हुईं. इससे अल्पसंख्यकों के मन में असुरक्षा की भावना भी तेजी से बढ़ी है. इमरान खान की सरकार में पुलिस के ढुलमुल रवैये और सख्त कानून न होने के कारण कट्टरपंथियों के हौसले बुलंद हुए हैं.
लड़कियों को आम तौर पर अगवा किया जाता है और फिर इनका निकाह करवाया जाता है. ऐसी लड़कियों में अधिकतर सिंध प्रांत से गरीब हिन्दू लड़कियां होती हैं. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को धार्मिक आजादी के उल्लंघन को लेकर खास चिंता वाला देश घोषित किया.
ईसाई लड़की का अपहरण कर निकाह किया
अक्तूबर के अंतिम सप्ताह में धर्म परिवर्तन के लिए बदनाम सिंध सूबे की राजधानी कराची में 13 साल की एक ईसाई लड़की आरजू का 44 साल के एक अधेड़ ने अपहरण कर लिया था. जिसके बाद उसने जबरदस्ती लड़की का धर्म परिवर्तन करवाया और उससे निकाह कर लिया. जिस शख्स से आरजू का निकाह हुआ है, उसके बच्चों की उम्र भी उससे दोगुनी है. आरजू का पति बाल विवाह और बलात्कार के आरोप में फिलहाल जेल में है, लेकिन वह डर से छिपी हुई है.
अल्पसंख्यकों पर अत्याचार के लिए बदनाम सिंध में यह पहली घटना नहीं है. जून के अंतिम सप्ताह में आई रिपोर्ट के अनुसार, सिंध प्रांत में बड़े स्तर पर हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन कराकर उन्हें मुस्लिम बनाए जाने का मामला सामने आया था. सिंध के बादिन में 102 हिन्दुओं को जबरन इस्लाम कबूल कराया गया.
मानवाधिकार संस्था मूवमेंट फॉर सॉलिडेरिटी एंड पीस (MSP) के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिन्दू महिलाओं या लड़कियों का अपहरण किया जाता है. जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन करवा कर इस्लामिक रीति रिवाज से निकाह करवा दिया जाता है. पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 12 साल से 25 साल के बीच में होती है.
यह आंकड़े इससे भी अधिक हो सकते हैं क्योंकि ज्यादातर मामले पुलिस दर्ज नहीं करती. अगवा होने वाली लड़कियों में से अधिकतर गरीब वर्ग से जुड़ी होती हैं. जिनकी कोई खोज-खबर लेने वाला नहीं होता.