चुनार (मीरजापुर). राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र कार्यवाह डॉ. वीरेंद्र जायसवाल ने कहा कि अकबर का साथ देने वाले मानसिंह, शिवाजी के विरुद्ध मिर्जा राजा जयसिंह जैसे व्यक्ति हमारे ही समाज के थे, जिनके कारण हम एक साथ एक दिशा में उठना, चलना भूल गए. हिन्दू समाज ने शक्ति में बिखराव के कारण लंबा समय संघर्षों में बिताया. वे स्थानीय रामबाग में आयोजिक संघ शिक्षा वर्ग प्रथम वर्ष (सामान्य) के समापन समारोह में संबोधित कर रहे थे.
उन्होंने कहा कि अपना लक्ष्य राष्ट्र को परमवैभव संपन्न बनाना है. समाज के संगठन के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना हुई. हिन्दू समाज में पूज्य राम और कृष्ण परम शक्तिशाली होते हुए भी वनवासी, गिरिवासी अथवा अर्जुन रूपी समाज को अपना संघर्ष करने के लिए प्रेरित करते हैं. ज्ञान के क्षेत्र में भी भारत विश्व का अग्रणी राष्ट्र रहा है. हमारी परंपरा में मंगल को भूमि का पुत्र कहा गया है. मंगल भूमि के पुत्र हैं तो धरती के सारे गुण मंगल में होंगे. यह तथ्य हजारों वर्ष पहले सिद्ध किया जा चुका है.
उन्होंने कहा कि मृत्यु पर हमने अष्टांग योग की समाधि द्वारा विजय प्राप्त की है. आयुर्वेद, चिकित्सा शास्त्र, रसायन सभी में भारत हजारों वर्षों से विश्व का सिरमौर रहा है. 250 वर्ष पूर्व तक भारत का विश्व व्यापार में योगदान 30% तक था.
शिवाजी का वर्णन करते हुए कहा कि भारतीय परंपरा से प्रेरित बालक मात्र 14 वर्ष की अवस्था में 20 साथियों के साथ एक किले को जीत जाता है. शिवाजी ने कम संख्या में भी शत्रु का सामना करने के लिए छापामार युद्ध नीति का नवीन प्रयोग किया.
अंग्रेजों के कालखंड में नई शिक्षा पद्धति लाई गई, जिससे हम धीरे-धीरे मानसिक रूप से पराजित हो गए. इस देश को चरवाहों और सपेरों का देश बताया गया. संघ संस्थापक डॉ. हेडगेवार जी ने परिस्थितियों पर चिंतन कर संघ के रूप में समाज संगठन का कार्य प्रारंभ किया. समाज को संगठित करने के लिए शाखा पद्धति प्रारंभ की, जिसका एकमात्र उद्देश्य संस्कारवान व्यक्ति-चरित्रवान नागरिक निर्माण करना है.
कार्यक्रम अध्यक्ष सेवानिवृत्त मेजर कृपाशंकर सिंह जी ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में काफी पतन हुआ है. संघ के संगठन संस्कृत भारती द्वारा आजकल संस्कृत को वरीयता दी जा रही है, जो स्वागत योग्य कदम है. कार्यक्रम के प्रारंभ में ध्वजारोहण किया गया. स्वयंसेवकों द्वारा शारीरिक प्रशिक्षण का प्रदर्शन उपस्थितजनों के आकर्षण का केन्द्र रहा. इस दौरान काशी प्रांत के सह प्रांत संघचालक अंगराज जी, वर्गाधिकारी सच्चिदानंद जी मंचासीन रहे.