मलखाचक. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत जी ने कहा कि विश्व कल्याण के लिए भारत को शक्तिशाली बनना होगा. अब तक की महाशक्तियों ने विश्व पर सिर्फ अपना डंडा चलाया है. अपने हित के लिए अपने ढंग की व्यवस्था ये महाशक्तियां चलाती रही हैं. कभी विश्व पर ब्रिटेन का शासन चलता था. कहा जाता था कि ब्रिटेन का सूरज कभी अस्त नहीं होता. लेकिन ब्रिटेन का शासन अन्य महाशक्तियों की तरह शोषण पर आधारित था. ब्रिटेन ने कुछ कमाल नहीं किया, बल्कि दुनिया को कंगाल ही किया. धर्मपाल जी की पुस्तक में उल्लेख है कि 77 प्रतिशत साक्षर भारत की साक्षरता दर 17 प्रतिशत हो गई.
सरसंघचालक जी ने छपरा के मलखाचक में आयोजित स्वतंत्रता सेनानी सम्मान समारोह में संबोधित किया. उन्होंने कहा कि भारत कभी गुलाम नहीं हो सकता. यहां के असंख्य लोगों ने अपने जीवन का तिल तिल अर्पित कर इस देश का निर्माण किया है. यहां इसकी एक लंबी परंपरा रही है. इनके लिए समाज सर्वोपरि रहा है. आत्म प्रसिद्धि और स्वयं से ऊपर राष्ट्र को रखने के कारण ही इस देश में ऐसी आत्मविलोपी भावना आई है. अतीत से प्रेरणा लेकर हम लोग सदा आगे बढ़ने की बात सोचते हैं.
मलखाचक को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि यह एक तीर्थ है. देश के लिए स्वयं को होम करने वाले लोगों की एक लंबी परंपरा है. सतत तपस्या के कारण एक भाव भूमि का निर्माण होता है. इस भाव भूमि को ही तीर्थ कहते हैं. मलखाचक भी इसी प्रकार का एक तीर्थ है, जहां नरमपंथी और गरमपंथी दोनों अपनी योजनाएं बनाते थे. उन्होंने इसे अपने जीवन का सबसे सौभाग्यशाली क्षण बताया.
आज 350 स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों को सम्मानित किया गया. इसमें बिहार के पहले बलिदानी रामदेनी सिंह, प्रख्यात क्रांतिकारी बैकुंठ शुक्ल, नारायण सिंह, हरिनंदन प्रसाद जैसे लोग शामिल हैं. इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार रवींद्र कुमार की लिखित पुस्तक – स्वतंत्रता आंदोलन की बिखरी कड़ियां – का विमोचन भी सरसंघचालक जी ने किया. कार्यक्रम का मंच संचालन महाराजगंज के सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल ने किया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रख्यात संत जीयर स्वामी ने की. विशिष्ट अतिथि केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय थे. कार्यक्रम में संघ के क्षेत्र कार्यवाह डॉ. मोहन सिंह, क्षेत्र प्रचार प्रमुख राजेश कुमार पांडेय, क्षेत्र प्रचारक रामनवमी प्रसाद, सह क्षेत्र प्रचारक राम कुमार, सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित थे.