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भारत अध्यात्म, संस्कृति, दया एवं मूल्यों की जन्मभूमि है – सौमित्र गोखले

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इंदौर. अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के तत्वाधान में प्रवासी भारतीय सम्मेलन में पधारे अतिथियों तथा शहर के विशेष आमंत्रित प्रबुद्ध नागरिकों का कार्यक्रम आयोजित किया गया. कार्यक्रम में मुख्य उद्बोधन हिन्दू स्वयंसेवक संघ के विश्व समन्वयक सौमित्र गोखले का रहा. उन्होंने भारत एवं भारतीय संस्कृति के विराट स्वरूप का वर्णन किया. उन्होंने कहा कि इन्दौर आए सभी अतिथियों ने एक बात समान रूप अनुभव की कि वास्तव में यह एक अद्भुत शहर है. उन्होंने विभिन्न महापुरुषों जैसे स्वामी विवेकानंद जी,  योगानंद जी, शंकराचार्य जी, प्रभुपाद जी के उदाहरण देकर समझाया कि समाज एवं जीवन मूल्यों को वही स्थापित कर पाता है, जो ना केवल भौतिक उन्नयन, बल्कि आध्यात्मिक उन्नयन की शिक्षा भी देता है. हमारे संतों, महापुरुषों ने अनुभव किया कि भारत अध्यात्म, संस्कृति, दया एवं मूल्यों की जन्मभूमि है.

उनके अनुसार न केवल प्रवासी भारतीय, बल्कि अन्य विदेशी नागरिक भी जाने अनजाने भारत की इस सांस्कृतिक परंपरा का लाभ ले रहे हैं. वर्तमान समय में हमें ना केवल अपनों की सहायता करनी है, बल्कि अन्य लोगों की सहायता भी करनी है और यह बात सबको पता भी चले. उन्होंने कहा कि अगली पीढ़ी तैयार करने के लिए स्वयं भी तैयार होना होगा. हम जागेंगे तो दूसरों को भी जगा पाएंगे, “भारत जागेगा तो विश्व जगेगा”.

कार्यक्रम में विश्व के विभिन्न देशों से आए प्रवासी भारतीयों ने अपने अनुभव कथन रोचक तरीके प्रस्तुत किए.

यूक्रेन से आए विपुल जी ने बताया कि हिन्दू स्वयंसेवक संघ के माध्यम से यूक्रेन रूस युद्ध एवं कोरोना काल में किस प्रकार वहां रह रहे लगभग 22 हजार विद्यार्थियों की सहायता की गई. प्रवासी भारतीय भारतीय संस्कृति के बीज विदेशों में बिखेर रहे हैं.

47 वर्षों से जर्मनी में रह रहे राकेश मेहरा ने बताया कि जर्मनी में पिछले 8 साल से 15 शहरों में हिन्दू स्वयंसेवक संघ की शाखाएं चल रही हैं, बाल गोकुलम संकुल का संचालन भी किया जा रहा है. जिसमें बच्चों को भारतीय संस्कृति एवं संस्कार से संबंधित जानकारी एवं शिक्षा प्रदान की जाती है.

म्यांमार से आई रोली जैन ने म्यांमार के खानपान, रहन-सहन, संस्कृति इत्यादि के अध्ययन के आधार पर बताया कि वहां भी भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता मौजूद है. म्यांमार में शिक्षा, चिकित्सा, व्यवसाय इत्यादि के क्षेत्र में भारत सरकार की सहायता से विभिन्न योगदान दिए जा रहे हैं.

बोस्टन से आए प्रमित माकोड़े जी ने बताया कि चिकित्सा, शिक्षा, एवं तकनीक के क्षेत्र में किस प्रकार से संघ, मध्य प्रदेश सरकार एवं केंद्र सरकार के समन्वय से परिवर्तन लाए जा सकते हैं. विद्या भारती स्कूल द्वारा संचालित 17000 स्कूल की शिक्षा के डिजिटलाइजेशन में एक वृहद योजना के तहत लगभग 15000 स्कूल को डिजिटल स्कूल में परिवर्तित करने का बोस्टन का लक्ष्य है.

17 वर्षों से जापान में रह रहे रोहन अग्रवाल जी ने जापान एवं भारत के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंधों पर अद्भुत जानकारियां प्रदान की. उनके अनुसार जापान से भारत के लगभग 5000 साल पुराने संबंध रहे हैं और वर्तमान जापान की सांस्कृतिक नींव में सनातन धर्म ही निहित है. वर्तमान में भी लगभग 12000 हिन्दू मंदिर जापान में स्थापित हैं.

कार्यक्रम की प्रस्तावना डॉ. मुकेश मोड ने रखी. कार्यक्रम का संचालन प्रियंका मोक्षमार ने किया तथा आभार प्रोफेसर डॉ. सुब्रतो गुहा ने व्यक्त किया. कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत रमेश जी गुप्ता ने किया.

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