नई दिल्ली. सर्वे संतु निरामयाः के अपने ध्येय को पूरा करने के लिए भारत विश्व के विभिन्न देशों को सस्ती और विश्वसनीय कोरोना वैक्सीन उपलब्ध करवाने के अभियान में जुटा है. भारत ने विभिन्न देशों पड़ोसी सहित कम विकसित (गरीब) देशों को कोरोना वैक्सीन उपलब्ध करवाने में प्राथमिकता दी. वहीं, अब कोरोना वैक्सीन को पेटेंट नियम से बाहर लाने की जी-तोड़ कोशिश कर रहा है. इस प्रयास के तहत भारत ने अभी हाल ही में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) से कोरोना वैक्सीन को ट्रेड रिलेटेड आस्पेक्ट्स ऑफ इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (ट्रिप्स) यानी व्यापार संबंधित बौद्धिक संपदा अधिकार से बाहर रखने की मांग की है ताकि छोटे एवं सबसे कम विकसित देशों को आसानी से कम कीमत पर कोरोना वैक्सीन मिल सके.
भारत के इस प्रयास में विशिव के 57 देश साथ दे रहे हैं और इनमें से 35 देश सबसे कम विकसित देश (एलडीसी) हैं. हालांकि अमेरिका और यूरोप व अन्य विकसित देश भारत के प्रस्ताव के पक्ष में नहीं हैं. शुक्रवार को इटली ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन की 2.5 लाख डोज के ऑस्ट्रेलिया निर्यात पर रोक लगा दी. यूरोपीय संघ ने भी इटली के इस कदम का समर्थन किया.
भारत होगा बड़ा निर्यातक
विशेषज्ञों के अनुसार वैक्सीन को लेकर विकसित देशों के रवैये को देखते हुए इसे ट्रिप्स से बाहर लाना अत्यधिक आवश्यक हो गया है. यह भी मानना है कि वैक्सीन को ट्रिप्स से बाहर रखा जाता है तो भारत इसका सबसे बड़ा निर्यातक और आपूर्तिकर्ता देश बन जाएगा. भारत के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि उन्हें इस बात का भरोसा है कि दुनिया का दवा उद्योग कोरोना वैक्सीन को ट्रिप्स से बाहर रखने के प्रस्ताव का खुले दिल से समर्थन करेगा.
फरवरी के आखिरी सप्ताह में डब्ल्यूटीओ में भारत ने कहा था कि कोरोना वैक्सीन को ट्रिप्स के दायरे से बाहर नहीं लाने पर खरबों डॉलर के वैश्विक उत्पादन का नुकसान हो जाएगा. ट्रिप्स से कोरोना वैक्सीन को बाहर रखने पर कोरोना वैक्सीन का उत्पादन आसान हो जाएगा, लेकिन अमेरिका, यूरोप व जापान फिलहाल इसके पक्ष में नहीं हैं.
हालांकि, धीरे-धीरे भारत के प्रस्ताव का समर्थन बढ़ता जा रहा है. यूरोपीय संसद के 115 सदस्यों ने कोरोना वैक्सीन को ट्रिप्स से बाहर रखने का समर्थन किया है.
दवा निर्यात संवर्द्धन परिषद के चेयरमैन दिनेश दुआ कहते हैं, दुनिया भर में इस्तेमाल होने वाली 60 फीसद वैक्सीन भारत में बनती है. भारत के पास वैक्सीन बनाने की सबसे अधिक क्षमता है.
दुनिया के दो दर्जन से अधिक देश कोरोना वैक्सीन के लिए भारत से मदद मांग रहे हैं. ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका ने ऑस्ट्रेलिया को वैक्सीन देने का करार किया था, फिर भी इटली ने वैक्सीन भेजने की इजाजत नहीं दी. ऐसे में, वैक्सीन के तीव्र उत्पादन से ही सभी देशों को अगले एक-दो साल में वैक्सीन मिल पाएगी.