जयपुर. विश्व हिन्दू परिषद् के संत मार्गदर्शक मण्डल की बैठक में महामण्डलेश्वर राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि विद्या, शांति और शांति का सूत्रपात भारत से हुआ और आने वाली सदी भी भारत की होगी.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र, वि.हि.प. के संगठन मंत्री राजाराम, केन्द्रीय मंत्री उमा शंकर, वरिष्ठ प्रचारक शिव लहरी, जुगल किशोर, सूर्य प्रकाश ने अपने उद्धबोधन में बल दिया कि भारत में सामाजिक समानता और समरसता हेतु संत समाज को मठ मंदिरों से बाहर आकर विभिन्न बस्तियों में कार्य करना होगा.
जयपुर स्थित कौशल्यादास जी की बगीची में आयोजित बैठक में कनक बिहारी मंदिर के महामण्डलेश्वर सियाराम जी, हाथोज मंदिर के महामण्डलेश्वर बालमुकुन्दाचार्य जी ने कहा कि सिर्फ संत की वेशभूषा धारण करना ही पर्याप्त नहीं होगा. जब तक कि युवा पीढ़ी में अपने धर्म व संस्कृति के संस्कार नहीं दिये जाएंगे, तब तक संत की भूमिका अपूर्ण रहेगी. आर्ष विद्यापीठ के प्रणेता संत ब्रह्मपरानन्द सरस्वती ने बताया कि वे बहुत से स्थानों पर बालकों को संस्कार शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं और आवश्यक होने पर अन्य स्थानों पर भी यह कार्य करने को तत्पर हैं.
महामण्डलेश्वर रामसेवकदास जी ने कहा कि पराधीनता के कालखण्ड में भारत में विदेशी आक्रान्ता सनातन सभ्यता को मिटाने में पूरी तरह असफल रहे.
संत बालकदास जी ने खुली चुनौति देते हुए हिन्दू समाज का आह्वान किया कि यदि समाज ने अपनी भूमिका को ठीक से पहचाना नहीं तो निश्चित रूप से पिछड़ जाएंगे.