नई दिल्ली. बार-बार चेतावनी के बावजूद कनाडा अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा. कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार लगातार भारत विरोधी बयानबाजी कर रही है. कभी झूठे आरोप लगाती है, तो कभी मनगढ़ंत कहानियाँ गढ़ती है. अब कनाडा की ट्रूडो सरकार ने आरोप लगाया है कि कनाडा में चल रही एक जांच में भारतीय उच्चायुक्त और राजनयिक संजय कुमार वर्मा शामिल हैं. आरोप को भारत सरकार ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है और बेतुका और निराधार बताया है.
भारत सरकार ने सोमवार को कनाडा के राजदूत को तलब किया और नाराजगी व्यक्त की. विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘कनाडा के कार्यवाहक राजदूत को आज शाम तलब किया था. उन्हें बताया गया कि कनाडा में भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को आधारहीन रूप से निशाना बनाया जाना पूरी तरह से अस्वीकार्य है’.
‘उग्रवाद और हिंसा के माहौल में, ट्रूडो सरकार के कार्यों से उनकी सुरक्षा खतरे में पड़ गई है. हमें उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वर्तमान कनाडा सरकार पर कोई भरोसा नहीं है. इसलिए भारत सरकार ने उच्चायुक्त और अन्य राजनयिकों और अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है.’
साथ ही, भारत ने कनाडा के 6 राजनयिकों को भी निकालने का निर्णय किया है. इसमें कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टीवर्ट रॉस व्हीलर, उप उच्चायुक्त पैट्रिक हेबर्ट, प्रथम सचिव मैरी कैथरीन जोली, इयान रॉस डेविड ट्राइट्स, एडम जेम्स चुइपका और पाउला ओरजुएला शामिल हैं. भारत सरकार ने कनाडाई राजनयिकों को शनिवार, 19 अक्तूबर, 2024 को रात 11:59 बजे तक या उससे पहले भारत छोड़ने के लिए कहा है.
वास्तव में, कनाडा सरकार ने एक जांच के तहत भारतीय उच्चायुक्त और राजनयिकों को अपनी जांच के दायरे में रखा है. इस संदर्भ में भारत सरकार को कनाडा सरकार ने एक पत्र भेजा था. इसके जवाब में भारत ने कनाडा के आरोपों को खारिज कर दिया और उसे कड़ी फटकार लगाई. विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हमें कल कनाडा से एक राजनयिक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें कहा गया है कि भारतीय उच्चायुक्त और अन्य राजनयिक उस देश में एक जांच से जुड़े मामले में रुचि रखते हैं. भारत सरकार इन निराधार आरोपों को पूरी तरह से खारिज करती है और इसे ट्रूडो सरकार के राजनीतिक एजेंडे से प्रेरित मानती है, जो वोट बैंक की राजनीति पर आधारित है’.
पिछले साल सितंबर में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट की संलिप्तता का आरोप लगाया था. इसके बाद से भारत और कनाडा के संबंधों में तनाव आ गया है. भारत ने उस समय भी आरोपों को खारिज किया था और सबूत प्रस्तुत करने की मांग की थी, जो कनाडा सरकार नहीं कर पाई.