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स्वदेशी विमान वाहक पोत ‘विक्रांत’ ने पहली समुद्री यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की

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नई दिल्ली.

स्वदेशी विमान वाहक पोत (आईएसी) ‘विक्रांत’ ने अपनी पहली समुद्री यात्रा सफलतापूर्वक पूरी कर ली है. 40,000 टन के युद्धपोत की प्रमुख प्रणालियों का प्रदर्शन संतोषजनक रहा. हालांकि, भारतीय नौसेना को पोत सौंपने से पहले सभी उपकरणों और प्रणालियों की योग्यता साबित करने के लिए पोत श्रृंखलाबद्ध ढंग से समुद्री परीक्षणों से गुजरना जारी रखेगा. विक्रांत को आजादी की 75वीं वर्षगांठ ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत देश को समर्पित किया जाएगा. स्वदेशी विमानवाहक पोत की डिलीवरी हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करेगी, साथ ही ब्लू वॉटर नेवी की उसकी इच्‍छा को भी पुख्ता करेगी.

‘विक्रांत’ 04 अगस्त, 2021 को कोच्चि से रवाना हुआ था. समुद्र में इसके परीक्षण योजना के अनुसार आगे बढ़े और सिस्टम पैरामीटर संतोषजनक साबित हुए.

आईएसी विक्रांत की विशेषताएं —

– स्वदेशी विमानवाहक पोत 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर ऊंचा है, जिसमें सुपर स्ट्रक्चर भी शामिल है.

– सुपर स्ट्रक्चर में पांच डेक सहित पोत में कुल 14 डेक हैं.

– जहाज में 2,300 से अधिक कम्पार्टमेंट हैं, जो लगभग 1700 लोगों के क्रू के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिसमें महिला अधिकारियों को समायोजित करने के लिए विशेष केबिन भी शामिल हैं.

– जहाज को मशीनरी संचालन, नेविगेशन और कठिन हालात में स्वयं को बनाए रखने के दृष्टिकोण से बहुत उच्च स्तर के ऑटोमेशन के साथ डिजाइन किया गया है.

– जहाज फिक्स्ड विंग और रोटरी एयरक्राफ्ट के वर्गीकरण को समायोजित कर सकता है.

– आईएसी विक्रांत को बनाने में 76 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का इस्तेमाल किया गया है.

– ‘विक्रांत’ की लगभग 28 समुद्री मील की शीर्ष गति और लगभग 7,500 समुद्री मील की सहनशीलता के साथ 18 समुद्री मील की परिभ्रमण गति है.

– जहाज फिक्स्ड विंग और रोटरी एयरक्राफ्ट के वर्गीकरण को समायोजित कर सकता है.

 पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा

आईएसी को मिग-29 और अन्य हल्के लड़ाकू विमानों के संचालन के लिए डिजाइन किया गया है. इस पर लगभग तीस विमान एक साथ ले जाए जा सकते हैं, जिसमें लगभग 25 ‘फिक्स्ड-विंग’ लड़ाकू विमान शामिल होंगे. इसमें लगा कामोव का-31 एयरबोर्न अर्ली वार्निंग भूमिका को पूरा करेगा. नौसेना के बेड़े में शामिल होने के बाद भारत में ही तैयार यह जहाज भारत को पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता प्रदान करेगा.

भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय (डीएनडी) द्वारा डिजाइन किया गया स्वदेशी विमान वाहक (आईएसी) ‘विक्रांत’ पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (एमओएस) के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के शिपयार्ड कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड (सीएसएल) में बनाया जा रहा है.

पहले जलावतरण के दौरान, पतवार, मुख्य प्रणोदन, बिजली उत्पादन और वितरण (पीजीडी) तथा सहायक उपकरण सहित जहाज के प्रदर्शन का परीक्षण किया गया. कोविड-19 महामारी और कोविड प्रोटोकॉल के कारण चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, पहले परीक्षण का सफल समापन, एक दशक से अधिक समय से बड़ी संख्या में हितधारकों के समर्पित प्रयासों का प्रमाण है. यह घटना अभूतपूर्व और ऐतिहासिक है. पोत को 2022 में अपनी डिलीवरी से पहले सभी उपकरणों और प्रणालियों को साबित करने के लिए समुद्री परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजरना होगा.

‘मेक इन इंडिया’ के तहत मजबूत कदम

आईएसी की डिलीवरी के साथ, भारत विमान वाहक पोत को स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्माण करने की क्षमता रखने वाले देशों के चुनिंदा समूह में शामिल हो जाएगा और सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल को बल प्रदान करेगा.

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