नई दिल्ली. विश्वभर में आतंक का पर्याय बन चुके पाकिस्तान का इलाज भी उसी तरीके से हो रहा है. आर्थिक रूप से कंगाल और नैतिक रूप से दिवालिया हो चुके आतंकिस्तान में इमरान खान और सेना प्रमुख बाजवा जितनी शेखी बघारें, लेकिन भय, भूख, असुरक्षा, महंगाई और प्रचंड जनविरोध के बीच लाचारी और जिल्लत ने पाकिस्तान के हुक्मरानों को कहीं का नहीं छोड़ा है.
भारत की तर्ज पर पाकिस्तानी आतंकियों के लगातार हमले से भड़के ईरान की सेना ने पाकिस्तानी सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की है और आतंकी कैंप से अपने दो सैनिकों को सुरक्षित छुड़ा लिया.
ईरान की सेना ने गुप्त सूचना के आधार पर 02 फरवरी की रात को ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को अंजाम दिया. लगभग ढाई साल से बंदी अपने जवानों को ईरान के अत्यंत प्रशिक्षित रिवाल्यूशनरी गार्ड्स ने जैश-उल-अदल के ठिकाने पर हमला करके मुक्त करवाया है.
पाकिस्तान के अन्दर घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक करके विजयी ईरानी सैनिक अपने देश लौट आए. कल्पना से परे इस बड़ी और चर्चित सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान की सरकार, सेना और ख़ुफ़िया तंत्र को सांप सूंघ गया है.
दक्षिणी-पश्चिमी पाकिस्तान में ईरान सीमा पर सक्रिय कट्टरपंथी वहाबी आतंकवादी संगठन जैश-उल-अदल ईरान के खिलाफ सशस्त्र अभियान चलाता आ रहा है. इसमें बलोच सुन्नी मुसलमान शामिल हैं जो ईरानी सुन्नियों के अधिकारों की रक्षा करने का दावा करते हैं. ईरान ने जैश-उल-अदल को आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है.
बताया जाता है कि 16 अक्टूबर, 2018 को जैश उल-अदल ने ईरानी सेना के 12 बॉर्डर गार्ड्स का अपहरण कर लिया था. इस घटना को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के मर्कवा शहर में अंजाम दिया गया था. यह इलाका पाकिस्तान-ईरान सीमा के नजदीक स्थित है.
ईरान की न्यूज एजेंसी के अनुसार जैश उल-अदल ने फरवरी 2019 में ईरानी सेना पर हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें कई जवान मारे गए थे. इसके बाद दोनों देश की सेना ने जवानों को छुड़ाने के लिए एक ज्वाइंट कमेटी भी बनाई थी.
जैश उल अदल ने इनमें से 5 सैनिकों को नवंबर 2018 में छोड़ दिया था. 21 मार्च, 2019 को पाकिस्तानी सेना ने अपनी कार्रवाई में ईरानी सेना के 4 अन्य सदस्यों का रेस्क्यू कर लिया था.
जैश उल-अदल लंबे समय से पाकिस्तान-ईरान सीमा पर सक्रिय है और उसी ने ईरान के बसीज अर्द्धसैनिक ठिकाने पर हमला किया और ईरानी सेना के कई जवानों की हत्या कर दी थी.
जैश उल अदल ने वर्ष 2014 में भी 5 ईरानी सीमा रक्षकों का सीस्तान और बलूचिस्तान की सीमा से अपहरण कर लिया था. दो महीने बाद चार सैनिकों को छोड़ दिया था और एक सैनिक की हत्या कर दी थी.
उल्टा चोर कोतवाल को डांटे की तर्ज पर पाकिस्तान ईरान में अपने आतंकियों को भेजना बंद करने के बजाय ईरान पर बलूचिस्तान में चीन के महत्वाकांक्षी चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे सीपैक के निर्माण में बाधा पहुंचाने और बलूच विद्रोहियों को उकसाने के मनगढ़ंत आरोप लगाता रहा.
भारत द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक के बाद ईरान द्वारा की गयी यह तीसरी स्ट्राइक आतंक के आका पाकिस्तान को उसकी असली औकात दिखाने का एक बड़ा प्रमाण है. हाँ, इस बात की कोई गारंटी नहीं कि पाकिस्तान इससे भी कुछ सीख लेगा…