नई दिल्ली. संसद के शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पारित करने के लिए प्रस्तुत किया. जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 में 1989 के दौरान जम्मू कश्मीर से विस्थापित हुए कश्मीरी हिन्दुओं के लिए 2 सीटें और पाकिस्तान अधिक्रांत जम्मू कश्मीर के विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 1 सीट आरक्षित करने का प्रावधान है. जबकि, जम्मू कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों के सदस्यों को नौकरियों और व्यावसायिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण का प्रावधान है.
विधेयक की प्रमुख विशेषताओं में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्ग शामिल हैं, जिनमें केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर द्वारा सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े घोषित किए गए गांवों में रहने वाले लोग, वास्तविक नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा से सटे क्षेत्रों में रहने वाले लोग और कमजोर व वंचित वर्ग (सामाजिक जातियां) शामिल हैं, जैसा कि अधिसूचित किया गया है. यह विधेयक केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर द्वारा घोषित कमजोर और वंचित वर्गों को अन्य पिछड़े वर्गों से प्रतिस्थापित करता है. इसमें गौर करने योग्य बात यह है कि विधेयक से कमजोर और वंचित वर्ग की परिभाषा हटा दी गई है.
26 जुलाई, 2023 को जम्मू कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 लोकसभा में पेश किया गया था. यह विधेयक जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 में संशोधन करता है. अधिनियम जम्मू कश्मीर राज्य के संघ में पुनर्गठन का प्रावधान करता है. इसमें जम्मू कश्मीर (विधानमंडल के साथ), लद्दाख (विधानमंडल के बिना) के क्षेत्र शामिल है. वहीं लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की दूसरी अनुसूची विधानसभाओं में सीटों की संख्या का प्रावधान करती है. 2019 अधिनियम ने जम्मू कश्मीर विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 83 निर्दिष्ट करने के लिए 1950 अधिनियम की दूसरी अनुसूची में संशोधन किया.
विधेयक में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल कश्मीरी हिन्दू समुदाय से अधिकतम 2 सदस्यों को विधानसभा में नामांकित कर सकते हैं. नामांकित सदस्यों में से एक महिला होनी चाहिए. प्रवासियों को ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया गया है, जो 1 नवंबर, 1989 के बाद कश्मीर घाटी छोड़कर जम्मू कश्मीर या देश के किसी अन्य हिस्से में चले गए और राहत आयुक्त के साथ पंजीकृत हैं. विधेयक में यह भी कहा गया है कि केंद्र शासित प्रदेश के उपराज्यपाल पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के विस्थापितों का प्रतिनिधित्व करने वाले 1 सदस्य को विधानसभा में नामित कर सकते हैं. विस्थापित व्यक्तियों से तात्पर्य उन व्यक्तियों से है जो पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में अपने निवास स्थान को छोड़ चुके हैं या विस्थापित हो गए हैं और वहां से बाहर रहते हैं.
आरक्षण बिल में गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के साथ पहाड़ियों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का प्रावधान किया गया है.