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कारगिल विजय दिवस – वीर बलिदानियों के परिजनों से घर जाकर मिलेंगे सेना के अधिकारी

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वर्ष 1999 में भारत ने कारगिल युद्ध में निर्णायक विजय प्राप्त की थी। कारगिल विजय दिवस 2025 के उपलक्ष्य में भारतीय सेना ने भावनात्मक और राष्ट्रीय कर्तव्य से प्रेरित अभियान शुरू किया है। अभियान के अंतर्गत सेना के अधिकारी कारगिल युद्ध में वीरगति को प्राप्त हुए 545 जवानों के घर पहुँचकर उनके परिजनों को धन्यवाद पत्र, स्मृति चिन्ह, और सरकारी योजनाओं की जानकारी देंगे। सेना की पहल का उद्देश्य केवल एक रस्म अदायगी नहीं है, बल्कि, यह उन वीरों को एक जीवंत श्रद्धांजलि है, जिन्होंने देश को सुरक्षित रखा।

अभियान की शुरुआत बलिदानी कैप्टन विजयंत थापर, वीर चक्र विजेता, के परिजनों से मुलाकात से हुई। सेना के अधिकारी मंगलवार को नोएडा स्थित कैप्टन थापर के निवास पर पहुंचे। कैप्टन थापर उस युवा जोश और निःस्वार्थ बलिदान का प्रतीक हैं, जिसने मातृभूमि के लिए अपना सर्वस्व अर्पण कर दिया। जब सेना के अधिकारी उनके घर पहुँचे और उनके माता-पिता को स्मृति चिन्ह सौंपा, तो यह केवल एक सम्मान नहीं था – यह भारतीय सेना और देश की तरफ़ से “भारत माता के सपूत को धन्यवाद” कहने का भावनात्मक क्षण था।

यह सम्मान-यात्रा केवल एक राज्य या एक क्षेत्र तक सीमित नहीं है। सेना की टीमें 25 राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, और यहां तक कि नेपाल तक जाकर उन वीर जवानों के परिजनों से मिलेंगी, जिन्होंने मातृभूमि के लिए बलिदान दिया।

सेना न केवल स्मृति चिन्ह और पत्र देगी, बल्कि वीरों से जुड़ी व्यक्तिगत यादें, चित्र, पत्र, वर्दियाँ या अन्य स्मृति-वस्तुएं भी परिजनों से प्राप्त करेगी। इन अमूल्य वस्तुओं को द्रास स्थित कारगिल वॉर मेमोरियल में सम्मानपूर्वक प्रदर्शित किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ वीरों की विरासत से परिचित हो सकें।

भारतीय सेना का मानना है कि हम अपने वीर साथियों को कभी नहीं भूलते और न कभी भूलेंगे। यह हमारा कर्तव्य और हमारी भावना है कि हम उनके परिजनों को बताएं कि हमारे वीर सेनानियों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया है। हमारे वीर बलिदानियों का परिवारअकेला नहीं है, भारतीय सेना उसका परिवार है और पूरी भारतीय सेना हमेशा उनके साथ खड़ी है।

26 जुलाई को होगा समापन समारोह

संपूर्ण अभियान का समापन 26 जुलाई, 2025 को द्रास स्थित कारगिल वॉर मेमोरियल में भव्य श्रद्धांजलि समारोह के साथ होगा।

कारगिल विजय की 26वीं वर्षगांठ केवल एक तिथि नहीं है – यह भारत के जुझारूपन, संकल्प और बलिदान की प्रतीक है। भारतीय सेना का अभियान हमें याद दिलाता है कि देश की रक्षा करने वालों को केवल युद्ध में नहीं, युद्ध के बाद भी याद किया जाना चाहिए। यह सम्मान, यह प्रयास, यह श्रद्धांजलि – हर भारतवासी की ओर से वीरों को एक प्रणाम है।

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