हुबली. कर्नाटक उच्च न्यायालय से हरी झंडी मिलने के बाद हुबली-धारवाड़ ईदगाह मैदान में सुरक्षा के बीच गणेश उत्सव का आयोजन किया जा रहा है. पंडाल में गणपति की स्थापना की गई है. पंडाल में भगवान गणेश की मूर्ति के साथ लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक और महान क्रांतिकारी विनायक दामोदर सावरकर की तस्वीर भी लगाई गई है.
भगवान गणेश की मूर्ति तीन दिन के लिए स्थापित की गई है. उच्च न्यायालय ने 30 अगस्त की देर रात को सुनवाई के दौरान गणेश चतुर्थी के उत्सव की अनुमति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. न्यायालय ने हुबली ईदगाह में गणेश उत्सव की मंजूरी देते हुए कहा – वहां पर गणेश चतुर्थी मनाई जा सकती है. यह संपत्ति हुबली धारवाड़ नगर निगम की है और इसका उपयोग नियमित गतिविधियों के लिए किया जा रहा है और ये किसी का धार्मिक स्थल भी नहीं है. इसलिए इस मामले में कोई यथास्थिति नहीं दी जा सकती है.
उच्च न्यायालय ने कहा कि ईदगाह वाली जमीन को लेकर कोई विवाद नहीं है. सरकार की तरफ से दलील दी गई थी कि वो प्रॉपर्टी विवादित है, लेकिन उच्च न्यायालय ने इसे नकार दिया है.
इसस पहले सर्वोच्च न्यायालय में भी मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई हुई थी. शीर्ष न्यायालय ने दो पक्षों की ओर से यथास्थिति बरकरार रखने का आदेश दिया था. साथ ही मामले के पक्षों को विवाद निवारण के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय जाने का निर्देश दिया था. इसके बाद न्यायालय ने देर रात ईदगाह मैदान में गणपति स्थापना की अनुमति दे दी थी.
हुबली का ईदगाह मैदान सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं, सियासत का अखाड़ा भी रहा है. 1992 में कांग्रेस सरकार ने भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी और नरेंद्र मोदी को ईदगाह मैदान में राष्ट्रीय ध्वज फहराने से रोक दिया था. 1994 में उमा भारती ने घोषणा की थी कि वह स्वतंत्रता दिवस पर इसी मैदान में तिरंगा फहराएंगी. हालांकि, उमा भारती को मैदान से करीब एक किमी दूर गिरफ्तार कर लिया गया था. तब से ही यह जमीन चर्चा में रही और इसको लेकर मुकदमेबाजी जारी थी. इस विवादित स्थल पर पुलिस लगातार पहरा देती रही है.