जो देश अपने सपूतों को भूल जाता है, उस देश के आत्म सम्मान को हीनता की दीमक चट कर जाती है. आक्रांताओं से लोहा लेकर देश की अस्मिता की रक्षा करने वालों की वीरता को अगर विस्मृत कर दिया जाए तो फिर हम देशप्रेम पर लम्बे चौड़े व्याख्यान देने का नैतिक अधिकार खो देते हैं. अखंड भारत के स्वप्न को लेकर आगे बढ़ रही युवा पीढ़ी को हमारे नायकों की गाथा सुनाने से पहले इस तथ्य के कारणों को भी जानना होगा, जिनके चलते राष्ट्रीय स्तर पर उस महानायक को भुलाया गया, जिसके अद्वितीय साहस की वजह से मुग़लों का सम्पूर्ण भारतवर्ष पर क़ाबिज होने का सपना अधूरा ही रह गया.
हम बात कर रहे हैं 17वीं शताब्दी में इतिहास रचने वाले वीर योद्धा लाचित बोड़फुकन की. भारत के कुछ क्षेत्र ऐसे भी थे, जहां मुगल बार-बार कोशिश करने के बावजूद अपना राज स्थापित नहीं कर सके. ऐसा ही एक राज्य है असम, जिसमें सैकड़ों वर्षों तक अहोम राजवंश का शासन रहा. मुगलों ने इस दौरान कई बार कोशिश की, लेकिन लाचित बोड़फुकन जैसे योद्धा के चलते मुगल, असम पर कभी भी कब्जा नहीं कर सके. उन्होंने शक्तिशाली मुगलों से ना सिर्फ टक्कर ली, बल्कि हराया भी.